कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने कुछ दिनों पहले ही अपने आदेश में कहा था कि बांग्लादेश भेजी गयी गर्भवती महिला समेत 6 लोगों को देश (भारत) वापस लाना होगा। लेकिन बांग्लादेश की अदालत में भी मामला चल रहा था। अगर वहां की अदालत उन्हें मुक्त नहीं करती है, तो वीरभूम निवासी सभी 6 नागरिकों को कैसे भारत लाया जाएगा?
आखिरकार इस मामले में राहत की खबर मिली है। बांग्लादेश की जेल में बंद वीरभूम के पाइकर की निवासी गर्भवती सोनाली खातून व अन्य 5 व्यक्तियों को भारत वापस लाने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी बांग्लादेश के चांपाइनबाबगंज सीजेएम अदालत ने भारतीय हाईकमिशन को ही सौंपी है। गुरुवार को इस आदेश की प्रतिलिपी सामने आयी जिसके बाद सोनाली के परिजनों की सांस में सांस आयी। ग्रामीणों की मांग है कि जिन लोगों ने जबरदस्ती सोनाली और अन्य को बांग्लादेश में पुशबैक किया है, केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।
बताया जाता है कि सोनाली समेत सभी 6 नागरिकों, जिनको जबरदस्ती बांग्लादेश में पुशबैक किया गया था, उनका मामला बांग्लादेश के चांपाइनबाबगंज के सीजेएम कोर्ट में चल रहा है। गत 30 सितंबर को घुसपैठिए के तैर पर सोनाली व स्वीटी बीबी समेत 6 लोगों की जमानत की अर्जी पर सुनवाई थी। इसके बाद वहां की अदालत में दुर्गा पूजा की छुट्टियां शुरू हो गयी थी। हालांकि 30 सितंबर को ही सीजेएम अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान सोनाली समेत 6 नागरिकों को भारत वापस लौटाने के लिए भारतीय हाई कमिशन को ही आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया था।
सीजेएम कोर्ट सोनाली व अन्य के सभी कागजातों को देखने के बाद यह निश्चित है कि ये सभी भारतीय ही हैं। उनके पास आधार कार्ड समेत अन्य कागजात भी हैं। सोनाली व अन्य की मदद के लिए बांग्लादेश में पश्चिम बंगाल प्रवासी मजदूर उन्नयन परिषद के चेयरपर्सन व राज्यसभा में तृणमूल सांसद समिरुल इस्माल के प्रतिनिधि मफिजूल शेख मौजूद हैं।
आरोप है कि पिछले जून के महीने में दिल्ली में बतौर नौकरानी सोनाली व स्वीटी बीबी काम किया करती थी। सोनाली के पति और सोनाली-स्वीटी के 3 नाबालिग बच्चों को असम सीमा से बांग्लादेश में बीएसएफ के जवानों ने पुशबैक किया था। गत 26 सितंबर को कोलकाता हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि उन 6 लोगों को 4 सप्ताह के अंदर भारत में वापस लाना होगा। हाईकोर्ट ने बांग्लादेशी होने के संदेह में गृहमंत्रालय के अधिनस्थ दिल्ली पुलिस द्वारा उन 6 लोगों को हिरासत में लेने और भारत से भगाने के फैसले को खारिज कर दिया था।
सोनाली के पिता भुदू शेख का कहना है कि हम लंबे समय से पाईकर में ही रहते हैं। दिल्ली पुलिस ने क्यों उन्हें बांग्लादेश भेज दिया? वे मेरी बेटी को वापस ला दें। सोनाली के भाई सबूज शेख का कहना है कि दीदी 8 महीने की गर्भवती है। उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? उसको कोई इलाज नहीं मिल रहा है। अच्छा खाना भी नहीं मिला। वहीं तृणमूल सांसद समिरुल ने आरोप लगाते हुए कहा कि गरीब बांग्लाभाषी ही बंगाल-विरोधी भाजपा के निशाने पर है, यह बार-बार साबित हो रहा है।