पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला दायर करने के लिए एटॉर्नी जनरल से अनुमति नहीं मिली। इसके बाद ही मामले को वापस लेने के लिए संबंधित संगठन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया गया था। मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने इसकी अनुमति दे दी है। बताया जाता है कि अदालत से अनुमति मिलने के बाद गुरुवार को इस मामले को वापस ले लिया गया है।
इससे पहले भी इस मामले में शिकायतकर्ता के वकील को मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा था कि कोर्ट को राजनीति की जगह न बनाएं। राजनैतिक युद्ध दूसरी जगह पर करें। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को शिकायतकर्ता संगठनों की तरफ से बताया गया कि देश के एटॉर्नी जनरल आर. वेंटकरमाणी ने क्रिमिनल कॉन्टेम्पटर के लिए अनुमति नहीं दी है। इसके बाद ही शिकायतकर्ता संगठन की ओर से सुप्रीम कोर्ट से मामले को वापस लेने की अनुमति मांगी गयी। सुप्रीम कोर्ट ने वह अनुमति भी दे दी है।
गौरतलब है कि इस साल 3 अप्रैल को एसएससी के एक मामले का फैसला सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश संजय कुमार की डिविजन बेंच ने सुनाया था। भ्रष्टाचारों के आरोपों से घिरे एसएससी के 2016 की नियुक्ति के पूरे पैनल को ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस वजह से करीब 26 हजार शिक्षक व गैर शिक्षाकर्मियों ने रातोंरात अपनी नौकरी गंवा दी थी। उस दिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक टिप्पणी की थी। उस टिप्पणी को ही हथियार बनाकर 'आत्मदीप' नामक एक संगठन ने यह मामला दायर किया था।