साल 2002 की वोटर लिस्ट की हार्ड कॉपी के साथ चुनाव आयोग द्वारा अपलोड किए हुए सॉफ्ट कॉपी में अंतर है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से यह आरोप लगाया जा रहा है। साथ ही आरोप है कि SIR से पहले ही कई मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया है। बताया जाता है कि इस बारे में चुनाव आयोग के पास तृणमूल कांग्रेस की तरफ से शिकायत दर्ज करवायी गयी है।
गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया है कि उत्तर 24 परगना और कुचबिहार जिले के वोटर लिस्ट से बड़ी संख्या में लोगों का नाम काट दिया गया है। बता दें, पश्चिम बंगाल में आखिरी बार साल 2002 में SIR हुआ है। उसी वोटर लिस्ट के आधार पर इस बार भी राज्य में SIR किया जाएगा। वर्ष 2012 की वोटर लिस्ट का सॉफ्टकॉपी चुनाव आयोग के वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। उस वोटर लिस्ट से ही मतदाता अपना नाम मिल रहे हैं।
तृणमूल का दावा है कि SIR से पहले ही जो वोटर लिस्ट चुनाव आयोग की तरफ से अपलोड की गयी है, वहां बड़ी संख्या में लोगों को अपना नाम नहीं मिल रहा है। लेकिन साल 2002 की वोटर लिस्ट में उन सभी लोगों का नाम मौजूद था। तृणमूल कांग्रेस का सवाल है कि एक साथ इतने सारे लोगों की मौत कैसे हो सकती है? या इनका नाम वोटर लिस्ट से गायब कैसे हो सकता है?
तृणमूल कांग्रेस की ओर से संवाददाता सम्मेलन कर ऐसे कई उदाहरण भी पेश किए गए हैं, जिसमें वोटर लिस्ट से मतदाताओं के नाम कट गए हैं। तृणमूल का आरोप है कि उत्तर 24 परगना जिले के अशोकनगर विधानसभा के अंतर्गत गुमा-1 ग्राम पंचायत इलाके में 61 नंबर बुथ पर क्रमांक संख्या 343 से 414 मतदाताओं का नाम गायब है। दावा किया जा रहा है कि इन सभी व्यक्तियों का नाम साल 2012 की वोटर लिस्ट में था। गुमा-1 पंचायत के 159 नंबर बुथ के (साल 2002 की वोटर लिस्ट के अनुसार बुथ नंबर 54) के सभी मतदाताओं का नाम अपलोड हुए वोटर लिस्ट से गायब है।
राज्य की मंत्री चंद्रीमा भट्टाचार्य का कहना है कि 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक वोटर लिस्ट में संसोधन होगा। उससे पहले ही काफी नाम काट कर हटा दिए गए हैं। कमिशन इसका क्या जवाब देगी? तृणमूल के एक अन्य प्रवक्ता का कहना है कि हार्डकॉपी में नाम है लेकिन वेबसाइट पर नहीं है। इलाकों से नाम काट कर हटाया गया है। जिन लोगों ने नाम अपलोड किया है, उन्हें इसका जवाब देना होगा।
तृणमूल की मांग है कि वेबसाइट की वोटर लिस्ट से इतने सारे नाम कैसे हटाए गए, इसकी जांच होनी चाहिए। तृणमूल का कहना है कि एक व्यक्ति ने वर्ष 2002 में वोट दिया था लेकिन अब वेबसाइट की वोटर लिस्ट में उसका नाम ही नहीं है। क्यों नहीं है? समस्या कहां हुई है? यह सब समझने में ही दो महीने का समय बीत जाएगा। तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के अस्तित्व को लेकर ही सवाल उठ रहा है, जो बहुत ही खतरनाक है।