SIR से पहले 600 से ज्यादा बीएलओ को चुनाव आयोग ने भेजा कारण बताओ नोटिस!

चरणबद्ध तरीके से 600 बीएलओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। बताया जाता है कि इसमें उनसे पूछा जा रहा है कि क्यों वे चुनाव आयोग का काम नहीं करना चाहते हैं, इसका सटीक कारण बताए।

By Moumita Bhattacharya

Oct 23, 2025 10:32 IST

पश्चिम बंगाल में किसी भी समय विशेष गहन जांच (SIR) शुरू हो सकती है। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है। उससे पहले चुनाव आयोग ने लगभग 600 बुथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ (BLO) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। बताया जाता है कि जिन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उन्होंने चुनाव आयोग के कार्यों में हिस्सा भी लिया था। घर-घर जाकर वोटर लिस्ट संशोधन के लिए जानकारियां इकट्ठा की थी।

मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार चरणबद्ध तरीके से 600 बीएलओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। बताया जाता है कि इसमें उनसे पूछा जा रहा है कि क्यों वे चुनाव आयोग का काम नहीं करना चाहते हैं, इसका सटीक कारण बताए। आरोप है कि बड़ी संख्या में बीएलओ चुनाव आयोग का काम नहीं करना चाहते हैं।

इस बारे में संग्रामी संयुक्त मंच के कन्वेनर भाष्कर घोष ने कहा कि SIR का विरोध नहीं कर रहे हैं। हम सरकार की मदद करने के लिए राजी हैं। लेकिन SIR की प्रक्रिया के लिए स्कूल को बंद रखना पड़े, यह नहीं होने देना चाहते हैं। जो बीएलओ स्कूल में एकमात्र शिक्षक हैं, वे चुनाव आयोग का काम नहीं करना चाहते हैं। जो बीएलओ इस वजह से चुनाव आयोग का काम नहीं करना चाहते हैं, हम उनके साथ हैं।

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शमीक भट्टाचार्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षक-शिक्षिकाएं राज्य में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसलिए काम नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने सत्तारुढ़ पार्टी पर आरोप लगाया कि तृणमूल ने हर तरफ खौफ पैदा कर दिया है। हालांकि तृणमूल नेता अरूप चक्रवर्ती का आरोप है कि चुन-चुनकर बीएलओ को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। यह संयुक्त राष्ट्र संरचना के खिलाफ है। इस तरह से कारण बताओ नोटिस भेजने का कोई कानूनी प्रक्रिया चुनाव आयोग में नहीं है।

दूसरी तरफ चुनाव आयोग की नजरों में बीएलओ की नियुक्ति प्रक्रिया भी है। लगभग 4000 से ज्यादा बीएलओ की नियुक्ति प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। सीईओ ऑफिस ने जिलाधिकारियों से इस बाबत रिपोर्ट मांगी है। आरोप है कि कई जगहों पर पैरा शिक्षकों को सहायक शिक्षक बताकर उन्हें बीएलओ नियुक्त कर दिया गया है लेकिन पैरा शिक्षकों को इस तरह के कार्यों में शामिल करना नियमों के विरुद्ध है।

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