समाचार एई समय: फायरिंग की चेतावनी के बाद अब भगवा ब्रिगेड ने राष्ट्रपति शासन की चेतावनी जारी कर दी है। गुरुवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने विस्तार से बताया कि अगर बंगाल की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण या 'SIR' लागू नहीं हुआ तो राज्य में राष्ट्रपति शासन कैसे लगाया जा सकता है। उन्होंने तारीख का भी खुलासा किया। हालांकि तृणमूल का मानना है कि भाजपा पिछले दरवाजे से सत्ता में आने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसे एहसास हो गया है कि लोकतांत्रिक तरीकों से बंगाल पर कब्जा करना असंभव है।
चुनाव आयोग ने अभी बंगाल की मतदाता सूची की जांच का काम शुरू नहीं किया है। हालांकि इस संभावित प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए बंगाल की राजनीति के दो मुख्य विरोधी पार्टियां तृणमूल और भाजपा लगभग रणभूमि में उतर ही गई हैं। तृणमूल नेताओं ने साफ चेताया है कि अगर 'SIR' में एक भी वैध मतदाता का नाम छूटा तो बंगाल में बवाल होगा। भाजपा भी धमकियों और चेतावनियों की बौछार में पीछे नहीं है।
बुधवार को केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कॉलेज स्क्वायर में एक सभा में चेतावनी दी थी कि अगर कोई 'SIR' के काम में बाधा डालने या अराजकता फैलाने की कोशिश करेगा तो केंद्रीय बल गोली चला देंगे। बंगाल की राजनीति में इसको लेकर राजनीति गरमा गयी है। इस बीच गुरुवार को जलपाईगुड़ी के नागराकाटा में राहत वितरण करते हुए शुभेंदु ने राष्ट्रपति शासन की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, 'तृणमूल कह रही है कि वह 'SIR' नहीं बनने देगी। अगर उसमें हिम्मत है तो वह इसे रोक कर दिखाये। भारत में किसी भी राजनीतिक दल का फैसला अंतिम नहीं होगा। संविधान का फैसला अंतिम होगा।' उन्होंने आगे कहा, ''SIR' नहीं तो वोट नहीं - हम इस मांग को लेकर सड़कों पर उतरेंगे।'
राष्ट्रपति शासन का इससे क्या लेना-देना है?
विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी की राय में, 'अगर 'SIR' की प्रक्रिया को रोकने की कोशिश की गयी तो मतदाता सूची तैयार नहीं होगी। अगर मतदाता सूची तैयार नहीं होगी तो मतदान नहीं होगा। अगर मतदान नहीं हुआ तो 4 मई, 2026 की रात 12 बजे के बाद बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा। वजह यह कि मौजूदा राज्य सरकार का कार्यकाल 4 मई तक का है।'
जवाब में तृणमूल प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, 'शुभेंदु अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि अगर बंगाल में स्वतंत्र मतदान हुआ तो उन्हें विपक्ष का नेता बनने के लिए आवश्यक विधायकों की संख्या नहीं मिलेगी। इसलिए उन्हें वोट चुराने होंगे या राष्ट्रपति शासन लगाकर पिछले दरवाजे से सत्ता हथियानी होगी।' उन्होंने आगे कहा, 'बंगाल की जनता का वोट विकास के पक्ष में ममता बनर्जी के पक्ष में होगा। इसी वजह सेशुभेंदु राष्ट्रपति शासन की बात कर रहे हैं। बंगाल की जनता लोकतंत्र के हत्यारों से नफरत करती है।' वह घृणा 2026 में प्रतिबिम्बित होगी।'
सुकांत ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा 'SIR' की मांग पर आगे भी अपनी आवाज़ बुलंद करेगी। उन्होंने कहा, 'बंगाल में 'SIR'की ज़रूरत समझाने के लिए हम सड़कों पर उतरेंगे। अगर तृणमूल इसका विरोध करती है तो प्रतिरोध होगा।' उधर, तृणमूल नेता राजीव बनर्जी ने इसी दिन कूचबिहार के मेखलीगंज में पार्टी की एक सभा से कहा, 'मैं अपने खून की आखिरी बूंद तक 'SIR' का विरोध करूंगा। अगर किसी वैध मतदाता का नाम छूटा बंगाल में आग लग जाएगी। पूरे बंगाल में खून की गंगाबहेगी। हमारा मानना है कि चुनाव आयोग को किसी वैध मतदाता का नाम हटाने का अधिकार नहीं है।'