पूरे बंगाल में SIR की प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया का दूसरा चरण यानी सुनवाई की प्रक्रिया अब शुरू हो चुकी है। ऐसी स्थिति में कोलकाता के दौरे पर आए गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने घुसपैठ को एक मुद्दे की तरह इस्तेमाल किया है। मंगलवार को कोलकाता में उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
इस दौरान उन्होंने कुछ इसी अंदाज में संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान बिना किसी हिचकिचाहट के अमित शाह ने कहा, 'साल 2026 के विधानसभा चुनाव में घुसपैठ सबसे बड़ा मुद्दा होने वाला है। हम न सिर्फ उन्हें रोकेंगे बल्कि उन्हें देश से बाहर निकाल देंगे।' साथ ही अमित शाह ने मतुआ समुदायों को यह भी भरोसा दिलाया कि उन्हें 'कोई डर' नहीं है।
पूरे देश के लिए सिर दर्द बन गई है घुसपैठ की समस्या
संवाददाता सम्मेलन के शुरुआत में अमित शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में घुसपैठ अब सिर्फ इस राज्य की समस्या नहीं है बल्कि पूरे देश के लिए सिरदर्द बन गई है। उन्होंने कहा कि इससे देश की पूरी सुरक्षा में रुकावट आ रही है। शाह ने सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। अमित शाह ने आरोप लगाते हुए कहा , 'बंगाल के भौगोलिक मानचित्र के साथ-साथ उसके जनविन्यास को भी बदलने की कोशिश हो रही है। और राज्य सरकार चुपचाप इसका समर्थन कर रही है।'
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा बंगाल में घुसपैठ को लेकर राज्य सरकार की आलोचना कर चुकी है। जवाब में राज्य सरकार ने भी पलटवार करते हुए सवाल उठाया था कि सीमा पर BSF क्या कर रही है? वे घुसपैठ क्यों नहीं रोक पा रहे हैं? गृह मंत्री ने मंगलवार को उस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, 'आपने जमीन नहीं दी। सीमा पर कांटेदार तार की बाड़ नहीं लग पा रही है। क्या आप इसकी जिम्मेदारी नहीं लेंगे?'
तुष्टिकरण की राजनीति
शाह यहीं नहीं रुके। उन्होंने अपने तेवर कुछ और तल्ख किया और कहा, ‘आपकी पुलिस क्या कर रही है? वे घुसपैठियों को घुसने के बाद पकड़ क्यों नहीं रहे हैं? वे उन्हें बाहर क्यों नहीं निकाल रहे हैं।’ गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि असम और त्रिपुरा में भी एक समय घुसपैठ की समस्या थी। अब दोनों राज्य में पूरा शांतिपूर्ण माहौल है।
राज्य सरकार से उन्होंने सवाल पूछा, ‘अगर असम, त्रिपुरा और गुजरात ऐसा कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं कर सकते?’ शाह ने खुद ही इसका जवाब देते हुए कहा, ‘क्योंकि घुसपैठिए आपका वोट बैंक हैं। इसीलिए आप चुपचाप पूरे मामले का समर्थन कर रहे हैं।’ उन्होंने इसे तुष्टिकरण की राजनीति भी कहा।
भाजपा का वादा है, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता
मतुआ सम्प्रदाय की नागरिकता को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कई लोगों को चिंता है कि कहीं उनके नाम SIR से हटा न दिए जाएं। हालांकि भाजपा नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने भरोसा दिलाया, "अगर मतुआ लोगों के नाम हटा दिए जाते हैं तो हम उन्हें नागरिकता देंगे और उन्हें वापस मतदाता सूची में शामिल करेंगे।"
शांतनु ठाकुर भी आज शाह की संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे। हालांकि गृह मंत्री ने SIR, मतदाता सूची के बारे में इन सब बातों पर बात नहीं की। उन्होंने साफ कहा कि मतुआ समूदाय को कोई डर नहीं है। वे रिफ्यूजी हैं। वे भारत के नागरिक हैं। यह भाजपा का वादा है। कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ममता बनर्जी भी नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मतदाता सूची में संशोधन शुरू होने के समय ही यह समझ आ गया था कि साल 2026 विधानसभा चुनाव में घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा बनने वाला है। उनके मुताबिक अमित शाह ने आज के संवाददाता सम्मेलन में साल 2026 के विधानसभा चुनाव में घुसपैठ को सीधे मुद्दा बनाकर वृत को पूरा कर दिया है।
Live from the press conference in Kolkata, West Bengal.
— Amit Shah (@AmitShah) December 30, 2025
পশ্চিমবঙ্গের কলকাতা থেকে সরাসরি সাংবাদিক সম্মেলন। https://t.co/cpiLQd4IKO