राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले उत्तर बंगाल की समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी पंकज कुमार सिंह को 'मध्यस्थ' के तौर पर केंद्र सरकार ने नियुक्त किया था। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने आरोप लगाया है कि इस बारे में राज्य के साथ कोई बातचीत किए बिना ही यह कदम उठाया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखकर इस नियुक्ति को रद्द करने का आवेदन भी किया है। इस बात की जानकारी उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से दी है।
पत्र में मुख्यमंत्री ने क्या लिखा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा है, 'नियुक्ति का यह मामला जीटीए के अधीनस्थ इलाके में शांति,प्रशासनीक स्थितिशिलता से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। जीटीए पश्चिम बंगाल सरकार के अधीन एक स्वयंशासित संस्था है। इसके बावजूद इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं की गयी है।' मुख्यमंत्री ने इस तरह के कदम को संयुक्तराष्ट्रीय संरचना पर आघात बताया है।
इस पत्र में उन्होंने यह भी कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार, केंद्र सरकार और गोर्खा जनमुक्ति मोर्चा के बीच त्रिपक्षीय करार पर हस्ताक्षर होने के बाद ही 18 जुलाई 2011 को दार्जिलिंग में गोर्खालैंड टेरिटोरियल एडमिनिट्रेशन (GTA) का गठन हुआ था।
पहाड़ पर शांति और सौहार्द्रता बने रहने की बात कहते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि साल 2011 में सरकार गठन के बाद तृणमूल सरकार की लगातार कोशिशों के बाद ही यह संभव हो सका है। इसलिए इस शांति को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार आवश्यक कदम उठाती रहेगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ पर शांति बनाए रखने के लिए गोर्खा सम्प्रदाय या जीटीए इलाकों में कोई भी कदम उठाने से पहले राज्य के साथ बात कर लेना सही रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह के संवेदनशील मामलों में एकतरफा फैसला संबंधित इलाके की शांति को बनाए रखने में सही साबित नहीं हो सकता है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य से बातचीत किए बिना पूर्व आईपीएस पंकज कुमार सिंह को बतौर मध्यस्थ नियुक्त करने के अपने फैसले पर फिर से सोच-विचार करने का अनुरोध ममता बनर्जी ने किया। उन्होंने इस मामले में राज्य और केंद्र के बीच आपसी रिश्तों का भी उल्लेख किया।
गौरतलब है कि पहाड़ पर राजनीतिक समस्याओं के स्थायी समाधान की मांग पिछले लंबे समय से ही विभिन्न गोर्खा संगठन करते आ रहे हैं। इनकी मांगों में दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, तराई-डुअर्स का एक हिस्सा लेकर अलग गोर्खालैंड राज्य का गठन भी शामिल है। इसके साथ ही पहाड़ पर 11 जनजाति को अनुसूचित जनजाति घोषित करने की मांग भी की जा रही है। वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे। उससे पहले इन मामलों में बातचीत करने के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी पंकज कुमार सिंह की मध्यस्थ के तौर पर नियुक्ति को राजनीतिक जानकार कम महत्वपूर्ण नहीं मान रहे हैं।