'प्रश्नपत्र' तैयार, परीक्षा देने के लिए 'परीक्षार्थी' ने भी पूरी तरह से कमर कस ली है लेकिन...!! लेकिन ऐन मौके पर 'परीक्षक' (Examiner) ही गायब। जी हां, कुछ ऐसा ही हुआ पटाखों की जांच के मामले में। बुधवार को टाला पार्क में पटाखों की जांच की पूरी तैयारियां कर ली गयी थी।
बताया जाता है कि हर साल की तरह ही इस साल भी बाजार में बेचने के लिए 33 प्रकार के पटाखों का नमूना व्यापारियों ने जमा किया हुआ था। सुबह 11 बजे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी वहां पहुंचने वाले थे, जो पटाखों की जांच करते।
आरोप है कि पुलिस, दमकल और व्यवसायी सभी सही समय पर पूरी तैयारियों के साथ मौके पर मौजूद थे। लेकिन जिन्हें पटाखों की जांच करनी थी, यानी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कोई भी प्रतिनिधि मौके पर नहीं पहुंचा। बताया जाता है कि सभी ने करीब 2 घंटों तक इंतजार किया लेकिन बोर्ड के किसी प्रतिनिधि के नहीं पहुंचने पर आखिरकार पटाखों की जांच को रद्द कर देना पड़ा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस रवैये से पर्यावरणविदों में काफी नाराजगी देखी जा रही है।
पर आखिर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी क्यों नहीं पहुंचे? बोर्ड के एक अधिकारी का दावा है कि पटाखों की जांच करना उनकी जिम्मेदारी नहीं है। हालांकि कुछ व्यापारियों का मानना है कि आवाजों की मात्रा बढ़ जाने की वजह से सभी पटाखे ही पास कर जाएंगे, यही सोच कर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कोई भी सदस्य नहीं आया। व्यापारियों का दावा है कि पिछले साल भी पटाखों की जांच के लिए कोई भी प्रतिनिधि जांच के समय नहीं उपस्थित हुआ था।
गौरतलब है कि देशभर में पटाखों की आवाज की अधिकतम सीमा 125 डेसिबल तो है लेकिन पश्चिम बंगाल में यह सीमा 90 डेसीबल थी। लेकिन पिछले साल से राज्य में भी पटाखों की आवाज की अधिकतम सीमा 125 डेसीबल ही कर दिया गया है।
टाला पटाखा बाजार के आयोजक शुभंकर मन्ना का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से किसी के नहीं आने की वजह से जांच ही नहीं हो पायी। लेकिन सभी विक्रेताओं से हमने सिर्फ ग्रीन पटाखों को रखने के लिए कहा है। बड़ाबाजार फायर वर्क्स डिलर्स एसोसिएशन के अधिकारी शांतनु दत्त का कहना है कि देशभर में 125 डेसीबल शब्दमात्रा रहने के बावजूद सिर्फ हमारे राज्य में ही यह सीमा 90 डेसीबल थी। लेकिन अब हमारे राज्य में भी एक ही नियम लागू हो चुका है। इसलिए अलग से जांच करने की कोई जरूरत नहीं रह गयी है।
सबूज मंच के सचिव व पर्यावरणकर्मी नव दत्त का कहना है कि प्रशासन ने पटाखों की जांच को मजाक बनाकर रख दिया है। इस वजह से ही हर साल प्रतिबंधित आवाजों वाले पटाखों की मात्रा बढ़ती जा रही है। इस साल भी ऐसा ही होने वाला है। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व मुख्य कानून अधिकारी विश्वजीत मुखर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा कि पटाखों की जांच न करके बोर्ड ने बहुत बड़ी गलती की है।