पश्चिम बंगाल में नवंबर के महीने से शुरू होगी SIR की प्रक्रिया, जानिए कब तक चलेगी?

राज्यों में आखिरी बार जब वोटर लिस्ट संसोधन हुआ था, उस समय की वोटर लिस्ट के साथ वर्तमान वोटर लिस्ट की मैचिंग और मैपिंग का काम कितना आगे बढ़ा है, इस बाबत भी आयोग ने पूछताछ की।

By Moumita Bhattacharya

Oct 24, 2025 10:05 IST

दुर्गा पूजा के बाद ही पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है। इस बात की सुगबुगाहट पिछले लंबे समय से चल रही है। आखिरकार इस बाबत गुरुवार को दिल्ली में हुई विभिन्न राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की नेतृत्व वाली आयोग की तीन सदस्यीय फुलबेंच ने कुछ संकेत दिए हैं। कब से पश्चिम बंगाल में शुरू होगा SIR?

मिली जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में अगले महीने यानी नवंबर के पहले सप्ताह से ही वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू हो जाएगी। पश्चिम बंगाल समेत कुल 5 राज्यों में एक साथ SIR की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। जिन राज्यों में पश्चिम बंगाल के साथ SIR की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा उनमें शामिल है - असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल। बताया जाता है कि इन पांचों राज्यों के CEO के साथ चुनाव आयोग की फुलबेंच ने अलग से बैठक भी की। हालांकि इस बाबत अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गयी है।

आयोग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार SIR को शुरू करने के मामले में इन पांचों राज्यों को प्राथमिकता देने की जरूरत है। इसलिए चुनाव आयोग की फुलबेंच ने इन राज्यों के CEO के साथ अलग से बात करके SIR के संबंध में उनकी तैयारियों के विषय में विस्तार से जानकारी ली। खासतौर पर संबंधित राज्यों में आखिरी बार जब वोटर लिस्ट संसोधन हुआ था, उस समय की वोटर लिस्ट के साथ वर्तमान वोटर लिस्ट की मैचिंग और मैपिंग का काम कितना आगे बढ़ा है, इस बाबत भी आयोग ने पूछताछ की।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार SIR प्रक्रिया डिजिटलाइज्ड होगी। इस वजह से विभिन्न मोबाइल ऐप बनाए जा रहे हैं ताकि पूरी प्रक्रिया आसान बन सकें। पर कब खत्म होगी SIR की प्रक्रिया? मिली जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल समेत सभी पांचों राज्यों से जनवरी तक SIR की पूरी प्रक्रिया को खत्म करने का निर्देश दिया गया है। क्योंकि इन सभी राज्यों में अप्रैल के अंतिम सप्ताह में विधानसभा चुनाव होने हैं।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की वर्तमान सरकार की मियाद 5 मई को खत्म हो रही है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारी, ईआरओ (इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर), एईआरओ और बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की नियुक्ति और प्रशिक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है। आयोग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल के CEO ने बैठक के दौरान राज्य के बीएलओ की सुरक्षा से संबंधित डर के बारे में भी बात की। कुछ बीएलओ SIR की प्रक्रिया में क्यों हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं, इस बारे में भी बात की गयी। अधिकांश बीएलओ ने सत्तारुढ़ पार्टी और विरोधी पार्टियों के आपसी संघर्षों की वजह से सुरक्षा का अभाव महसूस करते हैं।

गौरतलब है कि आमतौर पर बीएलओ का काम स्कूल के शिक्षक ही करते हैं। हालांकि चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि मतदाताओं के घर-घर जाकर एनुमरेशन फॉर्म पहुंचा देना, जमा लेना और मतदाता उस पते पर रहता है या नहीं, इसकी जांच करने के अलावा बीएलओ का और कोई काम नहीं है। वोटर लिस्ट से फर्जी नामों को काटने का फैसला ERO ही लेंगे।

आवश्यकता होने पर वह जमीनी स्तर पर भी इसकी जांच करेंगे। यह सभी बीएलओ को समझाया भी गया है। उनसे यह भी कहा गया है कि अगर कोई भी राजनीतिक पार्टी उनपर दबाव डालने की कोशिश करती है तो वे उसका विरोध न करें। बल्कि वे तुरंत चुनाव आयोग से संपर्क करें। इसके बाद आयोग इस मामले में पुलिस से शिकायत करेगी। इसके बावजूद अगर किसी को परेशान किया गया तो आयोग नियमानुसार आवश्यक कदम उठाएगी।

Prev Article
पटाखे फोड़ने पर बच्चों और महिलाओं की पिटाई के आरोप पर विवाद, कूचबिहार एसपी का तबादला
Next Article
देश में पहली बार कलकत्ता हाई कोर्ट ने दी नाबालिग के अग्रिम जमानत मांगने के अधिकार को मान्यता

Articles you may like: