ओडिशा की जेल में कोलकाता के चिटफंड एजेंट की मौत, उठ रहे हैं सवाल

संस्था के मालिक या निदेशकों को सजा न देकर जिस तरह से एजेंट को सजा दी गई है, क्या यह मुख्य आरोपियों को बचाने की कोई साजिश है?

By अमित चक्रवर्ती, Posted By : मौमिता भट्टाचार्य

Nov 06, 2025 18:57 IST

सजा की घोषणा होते ही ओडिशा की जेल में पश्चिम बंगाल के एक चिटफंड एजेंट की असामान्य मौत होने की जानकारी मिली है। प्राथमिक तौर पर पता चला है कि जेल के अंदर उस एजेंट ने आत्महत्या कर ली है। इस घटना के बाद से इससे पश्चिम बंगाल के वकील सवाल उठा रहे हैं कि संस्था के मालिक या निदेशकों को सजा न देकर जिस तरह से एजेंट को सजा दी गई है, क्या यह मुख्य आरोपियों को बचाने की कोई साजिश है?

अब तक चिटफंड मामलों में संस्था के मालिक या निदेशक के साथ एजेंट गिरफ्तार होने पर भी उनको सजा देने का कोई मामला सामने नहीं आया है। ओडिशा में जिस एजेंट की असामान्य मृत्यु का मामला सामने आया है, उसे 10 सालों की सजा दी गयी थी। मृत एजेंट का नाम पवित्र साहू बताया जाता है जो विबग्योर संस्था के लिए वर्ष 2009 से रुपए वसूलने का काम कर रहा था।

विबग्योर कोलकाता की ही कंपनी है। इन पर बाजार से कई सौ करोड़ रुपए वसूलने का आरोप लगाया गया है। 2015 में पूरे देश में चिटफंड घोटाला सामने आने के बाद चिटफंड भ्रष्टाचार रोकने के लिए पश्चिम बंगाल और ओडिशा - दोनों राज्यों ने नया कानून लाकर इकनॉमिक ऑफेंस विंग को सक्रिय बनाया।

नए कानून के तहत ही पवित्र के अलावा विबग्योर के डायरेक्टर राजा भद्र को ओडिशा पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ उस राज्य में तीन मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत दे दी गयी। लेकिन पवित्र को स्थानीय अदालत ने 10 साल जेल की सजा सुना दी। जेल विभाग के डीआईजी ने पुलिस को बताया कि सजा की घोषणा होने के बाद ही पवित्र ने आत्महत्या कर ली।

विबग्योर के खिलाफ जमाकर्ताओं की ओर से ओडिशा की अदालत में नियमित रूप से मामला लड़ने कोलकाता हाईकोर्ट के कई वकील जाते रहते हैं। वरिष्ठ वकील विकाश रंजन भट्टाचार्य का इस बारे में कहना है कि उनकी मृत्यु की खबर मिली है। जेल हिरासत में मृत्यु और चिटफंड के मामले में सिर्फ एक एजेंट को कैसे सजा दी गई - इन दो मुद्दों को लेकर हम ओडिशा हाईकोर्ट में मामले की तैयारी कर रहे हैं।

कोलकाता हाईकोर्ट के वकील अरिंदम दास का कहना है कि हम पश्चिम बंगाल के अलावा ओडिशा, झारखंड जाकर भी इन सभी चिटफंड के खिलाफ कानूनी लड़ाई चला रहे हैं। ओडिशा में जिस कानून के तहत सजा दी गई है, उस कानून के तहत हमारे राज्य में भी सजा का प्रावधान है। लेकिन निदेशक या तथाकथित असली अपराधियों को छुपाने के लिए ही केवल एक एजेंट को सजा देने की घटना उस राज्य की पुलिस की कोई साजिश है या नहीं, इसको लेकर सवाल उठाया जा रहा है। इसलिए हम बड़े स्तर पर कानूनी लड़ाई के लिए सोच-विचार कर रहे हैं।

Prev Article
KIFF 2025 : 31वें कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल की हुई शुरुआत, कहां दिखाई जाएगी कौन सी फिल्म?
Next Article
देश में पहली बार कलकत्ता हाई कोर्ट ने दी नाबालिग के अग्रिम जमानत मांगने के अधिकार को मान्यता

Articles you may like: