राज्य में लगभग 34 लाख ऐसे लोग हैं, जिनका आधार कार्ड पंजीकरण तो हुआ है लेकिन पिछले 2 सालों में विभिन्न कारणों से उनकी मौत हो चुकी है। आधार प्रबंधन (यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया या UIDAI) के साथ राज्य चुनाव आयोग (CEO) के अधिकारियों की बैठक में यह बात सामने आयी है। CEO ऑफिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन 34 लाख मृतकों में लगभग 3 लाख मृतक नाबालिग थे। इसके अलावा 14 लाख ऐसे मृतक भी हैं, जिनका आधार पंजीकरण नहीं हुआ था।
चुनाव आयोग द्वारा राज्य में SIR करने का मुख्य उद्देश्य मृतक, फर्जी वोटर, विदेशी नागरिकों या ऐसे वोटर जिनका कई जगहों के वोटर लिस्ट में नाम था, उनका नाम काट देना। मृत वोटरों का नाम काटने के लिए ही चुनाव आयोग आधार प्रबंधन की मदद ले रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जल्द ही UIDAI प्रबंधन इस बाबत आयोग को फाइनल रिपोर्ट सौंपेगी।
इसके साथ ही विभिन्न जिलों में पिछले कुछ सालों में कितने लोगों की मौत हुई है, उसे निश्चित करने के लिए भी जिलाधिकारियों से डेथ रजिस्ट्रार के साथ ही वृद्धावस्था पेंशन व अन्य सामाजिक परियोजनाओं की जानकारियों को भी आयोग टटोलने के बारे में सोच रहा है।
पश्चिम बंगाल में आधार के लिए जिम्मेदार अधिकारी शुभदीप चौधरी ने राज्य के CEO मनोज अगरवाल के साथ बैठक भी की है। बुधवार को CEO ने बताया कि मृतकों के अंतिम संस्कार के समय कई बार परिजन आधार कार्ड श्मशान में जमा नहीं करते हैं। लेकिन मृतक के नाम पर अगर बीमा या बैंक अकाउंट रहे तो उसे डिएक्टिवेट करने के लिए परिवार डेथ सर्टिफिकेट जमा करते हैं।
आधार प्रबंधन इन सभी संस्थानों से ही मृतकों की विस्तृत सूची प्राप्त कर रहा है। इसे बाद में इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसरों के पास भेज दिया जाएगा ताकि अगर किसी मृतक के नाम पर एन्यूमरेशन फॉर्म जमा होता है, तो उसे तुरंत रद्द कर दिया जा सकें।