मनमाने तरीके से नगर निगम ने खर्च किया रुपया तो सरकार की नहीं कोई जिम्मेदारी

अगर पहले से अनुमति नहीं ली गयी होगी तो नगर निगम को अतिरिक्त खर्च के लिए राज्य सरकार कोई अनुमोदन नहीं देगी। उन रुपयों की व्यवस्था नगर निगमों को ही करनी होगी।

By Moumita Bhattacharya

Oct 19, 2025 16:20 IST

अगर नगर निकाय मनमाने तरीके से आवंटित राशियों को खर्च करते हैं तो उसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार नहीं लेगी। बेहिसाब खर्च को कम करने के लिए राज्य की नगरपालिका और शहरी विकास विभाग की ओर से चेतावनी दी गयी है। राज्य सरकार की ओर से इस बाबत विज्ञप्ति जारी की गयी है जिसमें नगरनिगमों को यह स्पष्ट कहा गया है कि अगर सरकारी सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए कोई नगर निगम बिना अनुमति के ₹45 लाख से अधिक का 'वर्क ऑर्डर' जारी करता है, उसकी जिम्मेदारी संबंधित नगर निगम की ही होगी।

अगर पहले से अनुमति नहीं ली गयी होगी तो नगर निगम को अतिरिक्त खर्च के लिए राज्य सरकार कोई अनुमोदन नहीं देगी। उन रुपयों की व्यवस्था नगर निगमों को ही करनी होगी।

विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खर्च करने के मामले में नगर निगमों की क्षमता को निर्धारित करने के बावजूद कई निगम इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नगर निकाय अपनी निर्धारित सीमा से बाहर जाकर बड़ी मात्रा में रुपए खर्च कर रहे हैं। कई मामलों में तो वर्क ऑर्डर तक जारी कर देने के बाद अतिरिक्त खर्च के लिए विभाग से अनुमोदन की मांग की जा रही है। प्रशासनिक भाषा में इसे 'पोस्ट फैक्टो' अनुमोदन कहा जाता है। इस वजह से नगरनिकायों की बेहिसाब खर्च की मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसे पूरा करने में राज्य सरकार को खासी परेशानी हो रही है।

इस वजह से राज्य सरकार अनुमोदनहीन खर्चों पर लगाम कसना चाहती है। राज्य के वित्त विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने यह भी निर्धारित कर दिया है कि नगर निकाय का कौन सा अधिकारी कितने रुपयों का अनुमोदन दे सकता है।

वर्तमान में नगरनिगम के चेयरमैन सामानों को खरीदने या काम के लिए सर्वाधिक 1 लाख रुपए खर्च का अनुमोदन दे सकते हैं। चेयरमैन इन काउंसिल सर्वाधिक 5 लाख और बोर्ड ऑफ काउंसिल अधिकतम 45 लाख रुपए खर्च तक का अनुमोदन दे सकती है। इस बारे में राज्य के विभिन्न नगर निगमों के चेयरमैन का कहना है कि कई बार जरूरत होने पर काम के लिए बयाना दे देना पड़ता है। इन मामलों में काम होने या वर्क ऑर्डर जारी करते समय पोस्ट फैक्टो अनुमोदन लिया जाता है।

इस वजह से आशंका जतायी जा रही है कि अगर पोस्ट फैक्टो अनुमोदन को बंद कर दिया जाता है कि तो कई काम अटक जाएंगे। इससे अगर आम जनता में नाराजगी बढ़ती है तो उनसे सरकार को ही नुकसान होगा। बताया जाता है कि इस बारे में राज्य के मंत्री से भी बात की जाएगी।

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