लंबे अर्से बाद BJP के प्रदेश ऑफिस में पहुंचे दिलीप घोष, सुनाए अपनी सफलता के किस्से

दिलीप घोष ने अपनी विजया सम्मेलनी में कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान कहा कि यह मकान हमारे लिए मंदिर है। यहीं से पार्टी ने 4% से 40% का सफर तय किया है।

By Moumita Bhattacharya

Nov 02, 2025 18:18 IST

लंबे अर्से बाद भाजपा (BJP) के प्रदेश ऑफिस में दिलीप घोष (Dilip Ghosh) पहुंचे। उनकी विजया सम्मेलनी में पहुंचे पार्टी कार्यकर्ताओं को उन्होंने एक बार फिर से याद दिलाया कि उनके जमाने में राज्य में भाजपा पार्टी कैसे ऊंचाईयों पर पहुंची थी।

साल 2021 में विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से दिलीप घोष को हटाकर बालुरघाट के सांसद सुकांत मजूमदार को बैठाया गया था। उस समय से ही पार्टी के साथ दिलीप की दूरियां बढ़ने लगी थी। अब न तो दिलीप घोष को पहले की तरह पार्टी के कार्यों में सक्रिय देखा जाता है और न ही जिलों में उन्हें घूमते हुए देखा जाता है। लगभग 6 महीने पहले स्थिति और भी जटिल हो गयी थी जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आमंत्रण पर दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन वाले दिन अपनी पत्नी के साथ वह वहां पहुंचे थे।

इसके बाद भाजपा के कुछ सदस्यों ने प्रत्यक्ष रूप से उनके खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी थी। भाजपा के उच्च स्तरीय नेताओं ने पार्टी की बैठकों में मेदिनीपुर के पूर्व सांसद घोष को बुलाना बंद कर दिया था। राजनीतिक गलियारों में यहां तक चर्चाएं होने लगी थी कि भाजपा के प्रति दिलीप घोष कितने समर्पित हैं, इस बारे में अब सोचने का समय आ गया है। इन चर्चाओं के बीच शनिवार को पार्टी के पुराने कार्यकर्ता को लेकर दिलीप घोष ने मुरलीधर लेन स्थित पार्टी के पुराने ऑफिस में विजया सम्मेलनी का आयोजन किया।

यहां मौजूद पार्टी कार्यकर्ता से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि यह मकान हमारे लिए मंदिर है। यहीं से पार्टी ने 4% से 40% का सफर तय किया है। जितने दिन यह मकान सक्रिय रूप से राज्य ऑफिस था तब तक पार्टी को कई सांसद-विधायक मिले हैं। हालांकि दिलीप घोष की विजया सम्मेलनी में पार्टी के पुराने कार्यकर्ता तो मौजूद थे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व का कोई भी नेता नहीं था। पार्टी के किसी भी नेता ने उनके इस कार्यक्रम को लेकर कोई भी बयान तक नहीं दिया।

दिलीप घोष ने कहा, 'काफी दिनों बाद आया हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। कई पुराने कार्यकर्ता आकर मुझसे मिलकर गए हैं।' उन्हें फिर से पश्चिम बंगाल की राजनीति में कब सक्रिय रूप से देखा जाएगा? इसका जवाब देते हुए घोष ने कहा, 'मैं निष्क्रिय तो नहीं हूं। हर दिन कार्यकर्ताओं से मिलता हूं। उनका मनोबल बढ़ाता हूं। इसके बाद पार्टी जो जिम्मेदारी सौंपेगी, वैसा ही होगा।' बता दें, राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं जोरों पर है कि भले ही दिलीप घोष पार्टी में सक्रिय भूमिका में नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में वह कमल छाप पर ही बटन दबाकर खुद को जिताने की अपील करेंगे।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दिलीप घोष ने कहा कि पार्टी जो फैसला लेगी वहीं होगा। मैं खड़गपुर का पूर्व विधायक हूं। वहीं का मतदाता भी हूं। स्वाभाविक रूप से मैं अभी वहां पर अधिक समय दे रहा हूं। वहीं दिलीप घोष के मुद्दे पर तृणमूल प्रवक्ता अरुप चक्रवर्ती ने कटाक्ष करते हुए कहा, 'कौन असली भाजपा है, अभी उनके नेता इस बात पर खुद ही आपस में लड़ रहे हैं। ठंड के मौसम में सर्कस आने से पहले जनता भाजपा के सर्कस का आनंद उठा रही है।'

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