बारिश शुरू होते ही क्यों बदहाल हो जाती हैं सड़कें? हाई कोर्ट ने 3 सप्ताह में मांगा जवाब

हर साल बारिश के मौसम में महानगर के कई रास्ते पूरी तरह से जलमग्न हो जाते हैं। सड़कों के किनारों पर निकासी नालियां भी नहीं हैं। इसलिए कई दिनों तक जलमग्न रहने की वजह से सड़कें जल्दी टूटने लगती हैं।

By Moumita Bhattacharya

Nov 02, 2025 17:46 IST

बारिश के मौसम में कोलकाता और उपनगरीय इलाकों में सड़कों की बदहाल स्थिति को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court)में जनहित याचिका दायर की गयी है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि कोलकाता, हावड़ा के अलावा दमदम, विधाननगर, बेहला के बड़े हिस्सों में योजनाबद्ध तरीकों से सड़कों का निर्माण नहीं किया गया है। अगर सड़कें टूट भी जाती हैं, तो उनकी नाममात्र की ही मरम्मत की जाती है।

दूसरी ओर हर साल बारिश के मौसम में महानगर के कई रास्ते पूरी तरह से जलमग्न हो जाते हैं। सड़कों के किनारों पर निकासी नालियां भी नहीं हैं। इसलिए कई दिनों तक जलमग्न रहने की वजह से सड़कें जल्दी टूटने लगती हैं। बारिश होते ही जलजमाव की समस्या के साथ ही भारी ट्रैफिक जाम जैसी परेशानियां कई गुना बढ़ जाती है।

पिछले सप्ताह न्यायाधीश सूजय पाल और न्यायाधीश स्मिता दास दे की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार और कोलकाता नगर निगम (KMC) को इस बारे में अपनी बात रखने और रिपोर्ट जमा करने का 3 सप्ताह का समय दिया है। हाई कोर्ट में शिकायतकर्ता के वकील आकाश शर्मा का कहना है कि महानगर के कई रास्ते बिना किसी योजना के ही बनाए गए हैं। इस वजह से बारिश होने पर जगह-जगह पर पानी जमा होने लगता है।

ड्रेनेज व्यवस्था नहीं होने की वजह से पानी कई दिनों तक जमा रहता है जिससे सड़कें खराब हो जाती है। बेहला, ठाकुरपुकुर से लेकर वीआईपी रोड, हल्दीराम मोड़, बागुईआटी, चिनार पार्क, चिंगड़ीघाटा, ईएम बाईपास और भी कई इलाकों में जलजमाव की शिकायतें मिली हैं। इन सभी रास्तों के साथ बने सर्विस रोड की बदहाल स्थिति का उल्लेख दर्ज शिकायत में की गयी है। सिर्फ कोलकाता नगर निगम ही नहीं, इस मामले में केएमडीए को भी कठघरे में खड़ा किया गया है क्योंकि कोलकाता मेट्रोपॉलिटन में केएमडीए की भी बड़ी भूमिका है।

महाराष्ट्र के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख करते हुए नागरिकों के अच्छी तरह से सड़कों पर चल पाने के अधिकार को मौलिक अधिकारों का हिस्सा बताने की बात को भी याद दिलाया गया है। प्राथमिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट में 3 सप्ताह के अंदर राज्य और केएमसी को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। इसके बाद शिकायतकर्ता को फिर से अपना पक्ष रखना होगा।

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