प्रशांत महासागर में 'ला नीना' (La Nina) की स्थिति शुरू हो चुकी है। यानी महासागर में पानी के ऊपरी स्तर का तापमान सामान्य से नीचे जाने लगा है। सामान्य तौर पर ऐसा जब भी होता है तब दक्षिण-पूर्व एशिया समेत दुनिया भर के एक बड़े हिस्से का तापमान में गिरावट आने लगती है। लेकिन इस बार देखा जा रहा है कि सितंबर की औसत गर्मी में कोई कमी नहीं आयी है।
अगर औसत तापमान पर गौर किया जाए तो साल 2023 और 2024 के सितंबर से इस साल का सितंबर थोड़ा पीछे ही रह गया है लेकिन मौसम विशेषज्ञों ने साल 2025 का सितंबर मानव सभ्यता के इतिहास में तीसरा सबसे गर्म सितंबर घोषित किया है। यूरोपियन यूनियन मौसम और जलवायु के संबंध में शोध कर रही एक संस्थान कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सीथ्रीएस) ने बताया कि 'ला नीना' की स्थिति शुरू होने के बावजूद सितंबर में इतनी गर्मी का होना अच्छी बात नहीं है।
साल 1850 से मौसम संबंधित चीजों और बदलावों का रिकॉर्ड रखना शुरू हुआ है। बताया जाता है कि उस समय दुनिया में औद्योगिक क्रांति आयी थी। औद्योगिक क्रांति के समय ही दुनिया के औसत तापमान को 'बेंचमार्क' के तौर पर माना गया और इसके आधार पर ही बाद में हर महीने का नियमित तौर पर हर साल औसत तापमान निकाला जाने लगा। इससे पता चलता है कि कौन से महीने का तापमान सामान्य से कितना अधिक या कम रहा। इसके आधार पर ही साल 2024 के दिसंबर में मानव इतिहास का सबसे गर्म साल माना गया था।
वैज्ञानिकों ने साल 2025 को लेकर चेतावनी भी थी। पूर्वानुमान लगाया गया था कि अगर साल 2025 इतिहास का सबसे गर्म वर्ष नहीं भी बना तब भी यह वर्ष सर्वाधिक गर्म वर्षों की सूची में पहले 3 में अपना स्थान जरूर बनाएगा। हालांकि यह पूर्वानुमान पूरी तरह से सच साबित हुई है या नहीं, यह जानने के लिए इस साल के खत्म होने का इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन उससे पहले यह जरूर पता चल गया है कि गर्मी के लिहाज से सितंबर ने रिकॉर्ड बना डाला है।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस साल सितंबर में पृथ्वी के स्थल भाग का औसत तापमान 16.11 डिग्री सेल्सियस था। 1850 के औसत तापमान से लगभग 1.47 डिग्री अधिक। सिर्फ इतना ही नहीं साल 1991 से 2020 तक, 3 दशकों के औसत तापमान से सितंबर 2025 का औसत तापमान 0.63 डिग्री अधिक ही रहा।
बताया जाता है कि सितंबर में पृथ्वी के समुद्रतल का औसत तापमान भी तृतीय सर्वोच्य ही था। आम तौर पर 'ला नीना' की स्थिति में प्रशांत महासागर का औसत तापमान जब घटता है, तब पृथ्वी के तापमान का बढ़ना वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा रहा है।
भारत में चिंतित करने वाला रहा सितंबर का तापमान
सितंबर का औसत तापमान जब दुनिया भर में ऐसी जगह पर पहुंच गया है, तब भारत में भी सितंबर का तापमान कम परेशान करने वाला नहीं रहा। बताया जाता है कि सितंबर में देश भर के लगभग सभी जगहों पर तापमान सामान्य से काफी अधिक ही मौसम विभाग ने दर्ज किया है। वर्ष 1999-2020 के दौरान सितंबर के महीने में रात के समय भारत का औसत तापमान 22.8 डिग्री सेल्सियस था। लेकिन 2025 में सितंबर के महीने में भारत का रात का तापमान उससे 0.64 डिग्री बढ़कर 23.44 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 1901 से 2025 तक 124 सालों के दौरान इस साल का सितंबर देशभर में सबसे अधिक गर्म रहा। कोलकाता समेत देश के 35 शहरों में की गयी समीक्षा में विशेषज्ञों को पता चला है कि 17 शहरों में पूरे महीने के दौरान कम से कम 20 रात का तापमान सामान्य से अधिक रहा। इन शहरों में से गुजरात के दिऊ में सितंबर के 30 दिनों में से 29 दिनों का तापमान सामान्य से अधिक रहा। सितंबर में कोलकाता में औसतन 325 मिली बारिश हुई।
इस साल 22 सितंबर को बादल फटने की वजह से कोलकाता में एक दिन में 247.5 मिमी बारिश हुई। जबकि पूरे महीने के दौरान कुल मिलाकर 483.4 मिमी बारिश हुई है। बताया जाता है कि यह बारिश सामान्य से करीब 67 प्रतिशत अधिक रही। इसके बावजूद सितंबर में कोलकाता का रात के समय का तापमान ठंडा नहीं हुआ। बताया जाता है कि पूरे महीने में लगभग 65 प्रतिशत रातें ही सामान्य से अधिक गर्म रही हैं।