कोलकाता। अवैध वोटरों की तलाश के बीच, सियासत में 'गद्दारों' और 'मीरजाफरों' को खोजने का अभियान भी शुरू हो गया है। सूबे के सियासी रणक्षेत्र में मंगलवार को दोनों पक्षों ने अपने-अपने तरीके से 'गद्दारों' की पहचान की। दोनों पक्षों ने तर्कों के साथ यह समझाने की कोशिश की कि उनकी नजर में 'गद्दार' कौन हैं और क्यों!
शुभेंदु अधिकारी 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। तब से बंगाल की मुख्यमंत्री ने शुभेंदु अधिकारी का नाम लिए बिना उन्हें बार-बार 'गद्दार' कहा है। 2026 के विधानसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर, ममता के भाषण में एक बार फिर 'गद्दार' का विषय सुनाई दिया। मंगलवार को 'एसआईआर' के विरोध में निकाली गयी रैली के बाद उन्होंने जोरासांको में एक जनसभा में कहा, 'भाजपा में कुछ गद्दार हैं। जो अस्सी कारों और अंगरक्षकों के साथ घूमते हैं और बात-बात में वे एजेंसी की धमकी देते हैं।' विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बिना हिचके 'गद्दार' कहकर निशाना साधा । उनका स्पष्ट दावा है कि भारतीय राजनीति में सबसे बड़े 'गद्दार' का नाम ममता बनर्जी हैं।
शुभेंदु का नाम लिए बिना ही ममता बनर्जी ने उन्हें 'देशद्रोही' तो कहा ही, पिछले दिनों तृणमूल नेत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को 'मीरजाफर' कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी दी थी। आज भी ममता के निशाने पर 'मीरजाफर' के साथ-साथ 'गद्दार' भी था। हालांकि तृणमूल सुप्रीमो ने साफ कर दिया है कि उन्हें सबसे ज्यादा गुस्सा तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए 'गद्दारों' पर है। उन्होंने कहा, 'भाजपा में शामिल गद्दार फिर से अस्सी कारों में घूम रहे हैं। क्या वे जनता के नेता हैं! हर समय वे अंगरक्षक के घेरे में रहते हैं! गद्दार वोट से नहीं जीत सकते, वो नोटों से जीतना चाहते हैं। बात-बात पर एजेंसी की धमकी देते हैं।'
इसके बाद, बिना किसी का नाम लिए ममता बनर्जी ने 'गद्दार' पर सीधा हमला बोला, 'उन्होंने बंगाल के लोगों को बंधुआ मज़दूर बना दिया है, क्या उन्हें शर्म नहीं आती?' आख़िर वह किसे 'गद्दार' कह रही हैं, ममता बनर्जी सार्वजनिक रूप से उनका नाम नहीं लेना चाहती थीं। उस 'गद्दार' को 'बाबू' कहकर संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ने निशाना साधा और कहा, 'मैं कुर्सी की नहीं, बाबू की बात कर रही हूं। मैं यह नहीं बताऊंगी कि कौन सा बाबू है। वह पहला बाबू हो सकता है, दूसरा बाबू हो सकता है। बच्चे चम्मच से दूध पीते हैं। वह बाबू भी हो सकता है चम्मच से दूध पी रहा हो। मैं किसी का नाम नहीं ले रही। मैं कुर्सी का सम्मान करती हूं। लेकिन याद रखने की जरूरत है, दलाली की भी एक सीमा होती है।'
दूसरी ओर, शुभेंदु ने इतिहास को खंगालते हुए यह साबित करने की भी कोशिश की कि 'गद्दार' असल में ममता ही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, 'उन्होंने सबसे पहले राजीव गांधी को धोखा दिया था। 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ थीं। 1997 में वह कांग्रेस के साथ आ गयीं। 1998 में एनडीए में शामिल हो गयीं। 2001 में फिर से कांग्रेस का हाथ थाम लिया। 2002 में फिर एनडीए के साथ चली गयीं। 2009 में यूपीए का साथ निभाया!' शुभेंदु ने आगे कहा, 'ममता बनर्जी भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी गद्दार हैं। उन्होंने उन्हीं लोगों की पीठ में छुरा घोंपा जिन्होंने उनकी मदद की। राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी भी इस सूची में हैं। अब बंगाल की मुख्यमंत्री हिंदुओं की पीठ में छुरा घोंप रही हैं।'
तृणमूल कार्यकर्ताओं और समर्थकों को 'गद्दारों' का चरित्र बेहतर ढंग से समझाने के लिए ममता ने जोरासांको में एक बैठक में कहा, 'वे परिवार के बुजुर्गों का सम्मान नहीं करते। वे कैसे कर सकते हैं? बेटा दिल्ली नहीं गया क्योंकि उसके पिता मंत्री बन गए! इस गुस्से में कि उसके पिता को मंत्री क्यों बनाया गया? आप उनसे और क्या उम्मीद करते हैं?' तृणमूल नेताओं का मानना है कि यहां पिता और पुत्र कहकर ममता का इशारा शिशिर अधिकारी और शुभेंदु अधिकारी की तरफ ही था। हालांकि शुभेंदु ने इस पर सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन उन्होंने ममता के 'बाबू' कटाक्ष के बारे में कहा, 'तृणमूल नेता अब जो बबुआनी कर रही हैं वह मेरे और नंदीग्राम के लिए है। ममता बनर्जी दीदी से नानी बन जातीं, मुख्यमंत्री नहीं बन पातीं।'
ममता को लगता है कि जैसे भाजपा में 'गद्दार' हैं, वैसे ही देश में एक 'मीरजाफर' भी है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर दावा किया कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं। इस दिन तृणमूल नेत्री ने उस 'मीरजाफर' पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं आज के मीरजाफर की बात कर रही हूं। यह मीरजाफर दंगों की हत्या के लिए जिम्मेदार है।' उन्होंने आरोप लगाया कि यह 'मीरजाफर' केंद्रीय एजेंसी का डर दिखाने की भी कोशिश करता है। ममता का सवाल है, 'मीरजाफर बाबू, आपने असम में एसआईआर क्यों नहीं दर्ज की? क्योंकि आपको पता था कि आप वहां फर्जी वोटों से जीते हैं।' एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने पलटवार करते हुए कहा, 'वह भाजपा के लिए गद्दार है, आप देश के मीरजाफर को खोजने के लिए इतनी परेशानी क्यों उठा रही हैं! उनकी पार्टी में ऐसे कई हैं। 2026 के विधानसभा चुनावों के बाद उन्हें यह बात समझ आ जाएगी।
'एसआईआर' के माहौल में, तृणमूल नेत्री ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर भी निशाना साधा और उनका नाम लिए बिना उन्हें 'कुर्सी बाबू' कहा। ममता ने दावा किया, 'कुर्सी बाबू, मोदी बाबू और अमित शाह को खुश करने के लिए इतिहास रचने की कोशिश कर रहे हैं। आपका इतिहास एक दिखावा होगा। बिहार को पहले समझ नहीं आया! लेकिन जब समझ आया तब तक नाम काट दिया गया। हमने पहले ही पकड़ लिया।'