केंद्र के आग्रह के बावजूद अभी तक विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण सूचना पोर्टल पर नहीं है पश्चिम बंगाल

गृह मंत्रालय सूत्रों का दावा है कि पश्चिम बंगाल सरकार अभी तक इस पोर्टल पर नहीं जुड़ी है। FRRO ने पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची से कम से कम 600 बांग्लादेशी नागरिकों के नाम हटाने का संदेश भेजा है।

By Debarghya Bhattacharya, Posted By : Moumita Bhattacharya

Oct 14, 2025 18:58 IST

सुगत बंद्योपाध्याय

बांग्लादेश से वैध रूप से भारत आए कई लोग तिथि समाप्त होने के बाद भी यहीं रह रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि भारत में वोटर कार्ड और राशन कार्ड भी बनवा रहे हैं। विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) से यह जानकारी प्राप्त होने के बाद चुनाव आयोग (EC) ने बांग्लादेशी नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटाने का काम शुरू कर दिया है।

बांग्लादेश समेत विदेशी कितने नागरिक मियाद खत्म होने के बावजूद अवैध रूप से यहां रह रहे हैं, उन्हें चिह्नित करने के लिए विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (Foreigners Regional Registration Office) देश के सभी सीमावर्ती राज्यों में खोलने का निर्देश केंद्र सरकार की ओर से दी गयी थी। लेकिन गृह मंत्रालय सूत्रों का दावा है कि पश्चिम बंगाल सरकार अभी तक इस पोर्टल पर नहीं जुड़ी है।

इस वर्ष की शुरुआत में पुलिस की जांच में पता चला कि कई बांग्लादेशी नागरिकों ने पश्चिम बंगाल के विभिन्न पतों पर मतदाता, आधार और राशन कार्ड के आधार पर भारतीय पासपोर्ट बनवा लिए थे। सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि पिछले 4 महीनों के दौरान FRRO ने आयोग को पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची से कम से कम 600 बांग्लादेशी नागरिकों के नाम हटाने का संदेश भेजा है।

बताया जाता है कि इनमें से कुछ मेडिकल वीजा पर इलाज कराने आए थे, तो कुछ घूमने-फिरने के लिए पर्यटन वीजा पर। आरोप है कि वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी, वे अपने देश वापस नहीं लौटे। हाल ही में पता चला है कि नादिया के तेहट्ट का एक ऐसा ही बांग्लादेशी नागरिक इस साल आयोजित हुए स्कूल सेवा आयोग (SSC) की लिखित परीक्षा में भी शामिल हो चुका है।

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बांग्लादेश में सत्ता पलट के बाद पिछले एक वर्ष में कम से कम दो बार पश्चिम बंगाल सरकार से अनुरोध किया है कि वह राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के बारे में समय पर और विस्तृत जानकारी सुनिश्चित करें।

केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने भी गत जनवरी में कोलकाता में राज्य के गृह विभाग के साथ बैठक के दौरान यह बात कही थी। उनका तर्क था कि अगर राज्य इस पोर्टल में शामिल होता है, तो ऐसे बांग्लादेशी नागरिक जिनके वीजा की मियाद खत्म हो चुकी है, के बारे में किसी भी समस्या को केंद्रीय गृह मंत्रालय के संज्ञान में लाया जा सकता है और उसे ठीक किया जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्य को इस पोर्टल के इस्तेमाल के लिए हर तरह का प्रशिक्षण देगा। फिर भी, राज्य सरकार इस पोर्टल से नहीं जुड़ी है। पर ऐसा क्यों किया जा रहा है? सोमवार तक नवान्न सूत्रों से इस बारे में कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं मिल सका है।

इस पोर्टल में शामिल होने के फायदे?

गृह मंत्रालय के अनुसार, जब कोई विदेशी नागरिक हवाई या स्थल मार्ग से यानी सीमा पार करके, वैध पासपोर्ट के साथ राज्य में प्रवेश करता है, तो संबंधित विदेशी नागरिक की बायोमेट्रिक जानकारी पोर्टल पर अपलोड कर दी जाती है। इस जानकारी का उपयोग राज्य पुलिस भी कर सकती है। अगर वह विदेशी नागरिक अपनी अवधि समाप्त होने के बाद भी राज्य में रहता है, तो इस पोर्टल से जुड़ने पर उसकी पहचान करना आसान होगा। साथ ही, यह पहचानना भी आसान होगा कि कोई विदेशी नागरिक तोड़फोड़ या अन्य किसी आपराधिक मामले में शामिल तो नहीं है।

विदेश से आने वाले इन नागरिकों की जानकारी पहले से ही FRRO और पुलिस सुरक्षा नियंत्रण के पास होती है। लेकिन बायोमेट्रिक्स समेत सभी दस्तावेज एक ही पोर्टल पर एक ही जगह होने पर सीमावर्ती राज्यों में अवैध रूप से रह रहे नागरिकों के बारे में जानकारी को साझा करना आसान हो सकता है। हालांकि राज्य ने अभी तक इस पोर्टल से खुद को क्यों अलग रखा है, इस बारे में राज्य के गृह विभाग के अधिकारियों ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

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