जल्द ही टाली नाला का पानी भी दिखेगा स्वच्छ। काले, कीचड़ वाले और बदबूदार पानी से किनारों पर रहने वाले लोगों को मिलेगी राहत। कुछ ऐसा ही दावा किया है कोलकाता नगर निगम (KMC) के निकासी विभाग के अधिकारियों ने। पिछले लंबे समय से कोलकाता का महत्वपूर्ण निकासी पथ के तौर पर टाली नाला का इस्तेमाल तो किया जा रहा है लेकिन इस पानी पूरी तरह से काला नजर आता है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल जरूर आ रहा है कि इसका पानी आखिर साफ कैसे होगा?
क्या कहा केएमसी के अधिकारियों ने?
इस बाबत केएमसी के अधिकारियों का कहना है कि टाली नाला और हुगली नदी के संगमस्थल पर एक बड़ा बैराज बनाने की योजना है। इसके लिए लगभग ₹134 करोड़ खर्च किया जाएगा। बताया जाता है कि इस परियोजना को पूरा करने में करीब 2 साल का समय लगेगा। परियोजना को अनुमोदन मिलने के बाद मेयर फिरहाद हकीम ने कहा था कि बैराज बनाने के बाद टाली नाला का पानी अभी के मुकाबले काफी ज्यादा स्वच्छ हो जाएगा।
पर कैसे पूरी होगी यह परियोजना?
इस बारे में केएमसी के निकासी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दोईघाट पर नया बैराज बनाने का काम किया जाएगा। ज्वार आने पर पानी को पम्प की मदद से हुगली नदी में भेज दिया जाएगा। बताया जाता है कि जब टाली नाला या आदि गंगा में बाढ़ आती है, उस समय कालीघाट, भवानीपुर और खिदिरपुर के विभिन्न इलाके में पानी भर जाता है। इस परियोजना की पूरी होने के बाद ऐसा नहीं होगा।
दावा किया जा रहा है कि खाल में पानी का बहाव रुका हुआ है। इस परियोजना के पूरी होने पर पानी के बहाव में गति आएगी, जिससे पानी में भी स्वच्छता आएगी। खाल का पानी और काला या गंदा नहीं रहेगा। इस बारे में बांसद्रोणी के आदि गंगा रोड के निवासी जयंत राय का कहना है कि एक समय टाली नाला का पानी स्वच्छ हुआ करता था।
इस खाल में नाव में सवार होकर मछुआरों को मछलियां पकड़ते हुए भी मैंने देखा है। बाद में खाल के किनारे एक कारखाना का निर्माण हुआ जहां से अपशिष्ट पदार्थों को यहां फेंका जाना शुरू हो गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वजह से इसमें पानी का बहाव कम होते-होते पूरी तरह से बंद ही हो गया। मछली पकड़ना भी यहां बंद हो गया।
केएमसी के निकासी विभाग के एक अधिकारी का दावा है कि दोईघाट के पास बैराज बनाने पर टाली नाला के बहाव में गति आएगी। इससे प्रदूषण भी कम होने लगेगा और पानी अभी की तुलना में ज्यादा स्वच्छ भी रहेगी।