कोलकाता के एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार किस जगह किस प्रकार का प्रदूषण है? आइए, जानते हैं।
पटाखों की धमाकेदार गूंज रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देश पिछले पांच साल में भी प्रभावी नहीं होने से राज्य की भूमिका पर कोलकाता हाईकोर्ट असंतुष्ट है। कालीपूजा और दिवाली में केवल हरे पटाखे जलाने की अनुमति दी जाती है। समय भी लालबाजार की ओर से निर्धारित किया जाता है। रात 8 बजे से रात 10 बजे तक ही हरे पटाखे जलाने की अनुमति दी जाती है लेकिन सोमवार रात आठ बजे के बाद ही कोलकाता में पटाखों की जबरदस्त गूंज सुनाई दे रही थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कंट्रोल रूम में भी कई शिकायतें दर्ज हुईं।
जानकारी मिली है कि रात 9.30 तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कंट्रोल रूम में 17 शिकायतें दर्ज हुई थीं। इसमें पटाखों से संबंधित शिकायतें 16 हैं। शहर की हवा बारूद की बदबू से भर गई है। हालांकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा के अनुसार, रात 9 बजे तक हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक नहीं था। कोलकाता के एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार, रात 9 बजे तक बालीगंज में प्रदूषण का स्तर 85 था, विधाननगर में 77, फोर्ट विलियम में 73, जादवपुर में 106 और विक्टोरिया मेमोरियल के पास प्रदूषण का स्तर 140 था। यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार, हवा की गुणवत्ता अधिकांश जगहों पर 'खराब' स्तर से नीचे थी। हालांकि, रात बढ़ने पर प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया। ऐसा पर्यावरणविद मान रहे हैं।
फिर भी रात बढ़ने के साथ प्रशासनिक नियमों को नजरअंदाज करते हुए ऐसा लग रहा है कि कोई पटाखे फोड़ने की प्रतियोगिता चल रही है। हवा में प्रदूषण की मात्रा भी तेजी से बढ़ी। उल्लेखनीय है, हवा की गुणवत्ता सूचकांक या एयर क्वालिटी इंडेक्स शून्य से 50 के बीच होने पर इसे 'अच्छा' माना जाता है। यह गुणवत्ता सूचकांक 51 से 100 के बीच होने पर इसे 'संतोषजनक' माना जाता है। AQI 101 से 200 होने पर इसे 'मध्यम' माना जाता है। 201 से 300 होने पर 'खराब' माना जाता है। इससे अधिक होने पर इसे 'बहुत खराब' और 'भयावह' माना जाता है।