दिवाली-काली पूजा के दिन शाम से ही पटाखों के फूटने की आवाजें हर तरफ से आ रही थी। हालांकि कोलकाता पुलिस और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से तय समय सीमा के अंदर ही ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गयी थी लेकिन महानगर के कई इलाकों में इन नियमों को ताक पर रखने का आरोप लगाया जा रहा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि काली पूजा और दिवाली की रात को कोलकाता की हवा में बारूद घुल गयी है।
मंगलवार को कैसी है कोलकाता की हवा? कितना है हावड़ा का प्रदूषण स्तर?
सबसे पहले जान लेते हैं कोलकाता में प्रदूषण की स्थिति -
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की सुबह 9 बजे तक कोलकाता के अधिकांश इलाकों में हवा की गुणवत्ता 'ठीक-ठाक' ही रही। लेकिन विक्टोरिया मेमोरियल से सटे इलाकों में हवा की गुणवत्ता सबसे अधिक खराब मिली। हवा की गुणवत्ता बताने वाली एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल से सटे इलाके की गुणवत्ता AQI 239 रही।
पर्यावरणविदों का कहना है कि पटाखों से संबंधित कई पाबंदियां रहने के बावजूद राजधानी दिल्ली की हवा दम घोंट रही है। उसकी तुलना में कोलकाता व हावड़ा की स्थिति काफी बेहतर बतायी जा रही है।
कोलकाता की हवा का 'हेल्थ अपडेट'
सुबह 9 बजे कोलकाता का AQI (स्रोत - केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड)
*बालीगंज - 167
*विधाननगर - 165
*फोर्ट विलियम्स - 143
*जादवपुर - 200
*विश्व भारती विश्वविद्यालय - 135
*रवीन्द्र सरोवर - 142
*विक्टोरिया मेमोरियल - 239
हावड़ा में कैसी है हवा की गुणवत्ता?
कोलकाता की तुलना में हावड़ा की हवा को लेकर पर्यावरणविद चिंतित है। कोलकाता में अगर विक्टोरिया मेमोरियल से सटे इलाकों को छोड़ दिया जाए तो महानगर के अधिकांश इलाकों में हवा की गुणवत्ती ठीक है। वहीं केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड से मिली जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि हावड़ा के दो ऐसे इलाके हैं, जहां मंगलवार यानी दिवाली के ठीक अगले दिन सुबह 9 बजे हवा की गुणवत्ता खराब पायी गयी।
कहां कितना रहा AQI?
*बेलूड़ मठ - 206
*बोटानिकल गार्डन - 185
*दासनगर - 152
*घुसुड़ी - 192
*पद्मपुकुर - 241
गौरतलब है कि अगर AQI का स्तर 0-50 के बीच होता है तो उसे अच्छा माना जाता है। 51 से 100 के बीच AQI का होना संतोषजनक माना जाता है। 101 से 200 के बीच AQI का होना सहनीय या ठीक-ठीक और 201 से 300 के बीच का AQI स्तर खराब माना जाता है। जब AQI 301 से 400 के बीच होता है तो उसे बेहद खराब माना जाता है।
हालांकि दिल्ली की आबोहवा के सामने कोलकाता व हावड़ा में हवा की गुणवत्ता को लेकर पर्यावरणविद अधिक चिंतित नहीं हैं। पर्यावरणविद सुभाष दत्त का कहना है कि लोग जागरूक नहीं हैं। कोलकाता में हवा की गुणवत्ता भले ही दिल्ली से बेहतर है, लेकिन वह पूरी तरह से ठीक नहीं कही जा सकती है। सुबह के समय में हवा में प्रदूषण की मात्रा का अहसास होता है। हालांकि शब्द प्रदूषण की बात को ध्यान में रखना होगा क्योंकि सिर्फ आतिशबाजियां ही नहीं की जाती हैं बल्कि तेज आवाजों वाले पटाखे भी फोड़े जाते हैं।