एक या दो दिन नहीं बल्कि लगातार करीब डेढ़ महीने का समय आतंकी आजाद अहमद शेख ने पश्चिम बंगाल में बिताया था, जिसे हाल ही में गुजरात एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने गिरफ्तार किया है। जांच अधिकारियों को संदेह है कि 'रिसीन' (रेड़ी का बीच या रिसीनस कम्यूनिस से निकलने वाला जहर) बनाकर देश भर में इस जहर को फैलाने की साजिश रचने वाले आतंकी जून-जुलाई में पश्चिम बंगाल भी आए थे। प्राथमिक तौर पर अनुमान लगाया जा रहा है कि कोलकाता को केंद्र कर मुर्शिदाबाद, मालदह और खासतौर पर उत्तर बंगाल में नेपाल सीमा से सटे इलाकों में इन आतंकियों का आना-जाना था।
गौर करने वाली बात है कि इसी सूत्र से एक बार फिर से दिल्ली विस्फोट के साथ इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रविंस (ISKP) का संबंध सामने आ रहा है जो सीधे बंगाल की तरफ इशारा कर रहा है। जांच अधिकारियों को पता चला है कि गुजरात एटीएस द्वारा गिरफ्तार डॉक्टर सैयद अहमद महिउद्दीन का हैंडलर था ISKP का शीर्ष कमांडर अबु खादिजा। दिल्ली में विस्फोट और हमलों के लिए बने डॉक्टरों की टीम का हिस्सा भी महिउद्दीन था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महिउद्दीन के निर्देश पर ही आजाद बंगाल में आया था। खास बात यह रही है वह जिस समय बंगाल में आया था, उस समय 'ऑपरेशन सिंदूर' तुरंत खत्म हुआ था।
जहर और विस्फोटकों का संयुक्त रूप से इस्तेमाल कर भारत को तबाह करने की जो साजिश धीरे-धीरे सामने आ रही है, उसमें दिल्ली, बंगाल और कश्मीर एक ही धागे में पिरोए नजर आ रहे हैं। दिल्ली विस्फोट के तुरंत बाद एक और डॉक्टर, मुज़फ्फर रादर, गायब हो गया है जो गिरफ्तार आदिल रादर का बड़ा भाई है।
सूत्रों की मानें तो गिरफ्तार हुए आरोपियों के मोबाइल, लैपटॉप की जांच से पता चला है कि ISKP के साथ डॉक्टरों के नेटवर्क के संपर्क की जिम्मेदारी मुज़फ्फर पर ही थी। उन्हें खादिजा से सभी निर्देश मिलते थे और खादिजा के निर्देशों के आधार पर ही महिउद्दीन भी काम करता था। इसलिए आजाद का बंगाल आना और फरार मुज़फ्फर के बीच कोई संबंध नहीं है, जांच अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं है।
क्यों कही जा रही है दोनों के बीच संबंध होने की बात?
जांच अधिकारियों को पता चला है कि महिउद्दीन के अलावा आजाद को सीधे खादिजा से आदेश मिलता था। वह एक धार्मिक संगठन का प्रतिनिधि बनकर बंगाल आए थे। उस संगठन के काम के बहाने ही वह पहले मुर्शिदाबाद फिर मालदह गए और वहां से से उत्तर बंगाल। प्राथमिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार बांग्लादेशी सीमावर्ती दो जिलों और उत्तर बंगाल की सीमावर्ती इलाकों में ही आजाद घुमता-फिरता रहा। जांचकर्ताओं को संदेह है कि इसी रूट से भारी मात्रा में विस्फोटक और विस्फोटक बनाने की सामग्री, जो फरीदाबाद से बरामद हुई है, उसका एक बड़ा हिस्सा उस समय बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से होकर भारत में लाया गया था।
संभावना जतायी जा रही है कि रुपयों का लालच देकर कई एजेंट नियुक्त किए गए और उनके हाथों ही ट्रेन से ये सभी कंसाइनमेंट दिल्ली भेजा गया था। इसके लिए उत्तर-पूर्व भारत से दिल्ली रूट पर चलने वाली ट्रेनों का इस्तेमाल किया गया था, जो कटिहार होकर दिल्ली जाती हैं। गिरफ्तार आजाद से पूछताछ में जांच अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि सीमा पार कर क्या सिर्फ विस्फोटक ही लाया गया था या रिसीन या रिसीन बनाने की सामग्री भी भारत लायी गयी थी? अथवा दोनों?
जांच अधिकारियों की नजर में बंगाल आने के बाद से एक और विषय के बारे में भी जांच की जा रही है। 'डॉक्टर्स मॉड्यूल' में शामिल डॉक्टर-आतंकियों ने जहां-जहां पढ़ाई की है या पढ़ाया है, काम किया है, उन जगहों के साथ बंगाल का कोई संबंध है अथवा नहीं। इसकी जांच भी की जा रही है। इसके अलावा यह भी जांची जा रही है कि सीमा पार नेपाल या बांग्लादेश होकर भारत में हथियार, विस्फोटक या जहर लाने के लिए आतंकवादियों ने कोई सिंडिकेट बनाया है या नहीं? जांच अधिकारियों का कहना है कि बंगाल में इस वक्त कुछ 'मिसिंग लिंक' हैं, जिनकी कड़ियों को जोड़ने पर दिल्ली विस्फोट की जांच का नया रास्ता खुल सकता है।