कहीं बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) राज्य की सत्ताधारी पार्टी किसी कार्यकर्ता के ऑफिस में बैठकर एन्यूमरेशन फॉर्म बांट रहे हैं तो कहीं किसी किराना दुकान में बैठकर फॉर्म बांटे जा रहे हैं। कहीं सत्ताधारी पार्टी के बूथ लेवल एजेंट (BLA-2) ने बीएलओ से फॉर्म लेकर घर-घर पहुंचा दिया है।
भले ही राज्य भर में मतदाताओं को फॉर्म बांटने का काम पिछले मंगलवार से ही शुरू हो गया है लेकिन राज्य के विभिन्न जिलों में सामने आ रही ऐसी तस्वीरों को लेकर देश का चुनाव आयोग (EC) चिंतित है। बुधवार और गुरुवार को भी कई जिलों में विपक्षी पार्टी के बीएलए-2 से सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंटों द्वारा मारपीट के आरोप सामने आएं हैं। एक के बाद एक सामने आए इन आरोपों के बाद अब चुनाव आयोग ने सख्त चेतावनी दी है।
शुक्रवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनोज अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि आयोग के नियमों के अनुसार BLO को घर-घर जाकर मतदाताओं को एन्यूमरेशन फॉर्म वितरित करना होगा। इस काम के दौरान उनके साथ पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों के बीएलए-2 भी जा सकते हैं। इस नियम का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, 'बीएलओ को घर-घर जाकर प्रत्येक मतदाता को फॉर्म देना होगा। जिला चुनाव अधिकारियों को इस संबंध में चेतावनी दे दी गई है ताकि वे संबंधित बीएलओ को इस बारे में सावधान कर सकें। जो शिकायतें आ रही हैं आयोग उन्हें अच्छा नहीं मान रहा है। इन मामलों पर नजर रखी जा रही है। इसके बाद भी अगर कोई नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।'
नियमों का उल्लंघन करने वाले BLO के खिलाफ किस तरह की कानूनी कार्रवाई की जाएगी, इस बारे में मुख्य चुनाव आयुक्त ने अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। हालांकि आयोग के अधिकारियों का कहना है कि इससे पहले भी बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान कई बीएलओ पर गंभीर आरोप लगे थे जिसके बाद चुनाव आयोग ने उन सभी आरोपी बीएलओ को निलंबित कर दिया था और उनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर तक दर्ज कराई थी। कुछ बीएलओ को तो जेल भी जाना पड़ा था।
कितने फॉर्म हो चुके हैं वितरित?
सीईओ ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार की रात 8 बजे तक 3.4 करोड़ लोगों में एन्यूमरेशन फॉर्म वितरित किए जा चुके थे। पिछले कुछ समय से राज्य के अलग-अलग जिलों में एन्यूमरेशन फॉर्म वितरण के संबंध में जिस तरह के आरोप बीएलओ पर लगाए जाते रहे हैं, वैसे आरोप अब भी सामने आ रहे हैं। हालांकि अब देखना होगा कि चुनाव आयोग की चेतावनी के बाद बीएलओ कितने सावधान होते हैं!