आवारा कुत्ते मामले में पश्चिम बंगाल सहित केवल 3 राज्यों ने जमा किया हलफनामा, सुप्रीम कोर्ट नाराज

आवारा कुत्तों को लेकर विभिन्न राज्य सरकारों ने क्या व्यवस्था की है, अगस्त महीने में मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा मांगा था।

By सायनी जोआरदार, Posted By : मौमिता भट्टाचार्य

Oct 27, 2025 16:14 IST

आवारा कुत्तों से संबंधित एक मामले में देश के कई राज्य सुप्रीम कोर्ट के सवालों के घेरे में आ गए हैं। आवारा कुत्तों को लेकर विभिन्न राज्य सरकारों ने क्या व्यवस्था की है, अगस्त महीने में मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा मांगा था। अब तक पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली ने हलफनामा जमा किया है।

बाकी राज्यों ने इसे जमा नहीं किया है। सोमवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी आंजारिया की पीठ ने इस पर नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा, 'सभी राज्य सरकारों की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब हो रही है। दो महीने हो गए। अभी तक कोई जवाब नहीं...।' सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से हलफनामा जमा न करने का कारण जानना चाहता है। हर राज्य के मुख्य सचिव को आगामी 3 नवंबर तक जवाब देना होगा।

पहले ही अदालत जानना चाहती थी कि 2023 के एनिमल बर्थ कंट्रोल कानून या एबीसी के अनुसार राज्य काम कर रहे हैं या नहीं। सोमवार तक अदालत के पास केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली के हलफनामे जमा हुए हैं। न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, 'नियमित घटनाएं घट रही हैं। दुनिया के सामने देश की छवि खराब हो रही है।'

सुप्रीम कोर्ट ने गत 11 अगस्त को दिल्ली की सड़कों को आवारा कुत्तों से मुक्त करने का अभूतपूर्व आदेश दिया था। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने आदेश दिया था कि दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन (दिल्ली एनसीआर) में कोई आवारा कुत्ता नहीं रह सकता। शहर के बाहर उन्हें शेल्टर में भेजना होगा। इसके लिए दिल्ली एनसीआर और दिल्ली नगर निगम अधिकारियों को आठ सप्ताह का समय भी दिया गया था।

इसी आदेश विरोध में पशुप्रेमी संगठन सड़कों पर उतर गए थे। फिर से अदालत में एक के बाद एक मामले दर्ज होने लगे। सड़कों को आवारा कुत्तों से मुक्त करने के फैसले को लेकर विभिन्न मंचों पर सवाल उठाया जाने लगा। इसके बाद ही 22 अगस्त को न्यायमूर्ति नाथ के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया गया।

अदालत ने 11 अगस्त के आदेश में संशोधन किया। निर्देश दिया कि आवारा कुत्तों को रेबीज का टीका लगाने के बाद फिर से पुराने स्थान पर छोड़ देना होगा। साथ ही आम लोगों की सुरक्षा भी बाधित न हो, इस बात पर भी ध्यान रखने के लिए कहा गया। राज्यों से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि वे इस बारे में क्या कदम उठा रहे हैं? लेकिन अभी भी अधिकांश राज्यों द्वारा हलफनामा न देने से अदालत खासी नाराज है।

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