आज से SIR शुरू, जानिए आपके घर कब दस्तावेज देखने जाएंगे चुनाव आयोग के प्रतिनिधि

चुनाव आयोग ने सोमवार को ही पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR की घोषणा की है।अगर इस SIR सूची में आपका नाम होगा, तभी आप एक वैध मतदाता कहलाएंगे

By सायनी जोआरदार, Posted By : मौमिता भट्टाचार्य

Oct 28, 2025 15:12 IST

आज 28 अक्टूबर से पश्चिम बंगाल समेत देश के कुल 12 राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन या SIR की शुरुआत हो गयी है। जिसका अर्थ मतदाता सूची का विशेष गहन संशोधन है। सोमवार की रात को 12 बजे से ही पुरानी मतदाता सूची फ्रीज कर दी गयी है। आज से एन्यूमरेशन फॉर्म छपना शुरू हो जाएगा। साथ ही बूथ लेवल ऑफिसर या BLO की ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी।

उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा कि किस तरह से वे एन्यूमरेशन चरण को संचालित करेंगे। यह प्रशिक्षण 3 नवंबर तक चलेगा। दूसरी ओर आज ही चुनाव आयोग ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मिली जानकारी के अनुसार शाम साढ़े 4 बजे यह बैठक होगी।

चुनाव आयोग ने सोमवार को ही पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR की घोषणा की है।अगर इस SIR सूची में आपका नाम होगा, तभी आप एक वैध मतदाता कहलाएंगे और मतदान करने का अधिकार मिलेगा। इसलिए मतदाता सूची का विशेष गहन संशोधन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

4 नवंबर से घर-घर जाएंगे BLO

4 नवंबर से एन्यूमरेशन फॉर्म भरना शुरू होगा। यह प्रक्रिया 4 दिसंबर तक यह चलेगी। यही चरण असली है। फॉर्म भरने के समय उचित जानकारी और उसके लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे। इसके साथ ही हर व्यक्ति का जन्म, पता और नागरिकता प्रमाणपत्र भी देखा जाएगा। उसी के आधार पर तैयार किया जाएगा मतदाता सूची का ड्राफ्ट।

इससे पहले वर्ष 2002 में पश्चिम बंगाल में SIR हुआ था। लेकिन उस समय इस तरह 11 दस्तावेजों की सूची के साथ SIR हुआ था या नहीं, यह लोगों को याद नहीं है। कुछ लोग का कहना है कि उस समय संभवतः घर-घर जाकर मतदाताओं का वेरिफिकेशन किया गया था, जिसमें जीवित-मृत मतदाताओं के नाम, मतदाता दिए हुए पते पर रहता है अथवा नहीं, इन बातों की जांच की गयी थी।

SIR का उद्देश्य मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाना, एक से अधिक राज्यों में मतदाता सूची में नाम, फर्जी मतदाताओं को हटाना है। चुनाव आयोग का दावा है कि SIR में किसी योग्य मतदाता का नाम हटने का सवाल ही नहीं है।

लेकिन ऐसे कई लोग हैं, जिनका जन्म, बड़ा होनासब इसी राज्य में है। लेकिन वर्ष 2002 की SIR सूची में उनका नाम नहीं है। वे क्या करेंगे?

2002 की सूची में नाम न होने पर भी आयोग की ओर से बताया गया है, एन्यूमरेशन चरण में 11 दस्तावेजों में से कोई भी एक दिखा सकें तो समस्या नहीं होगी। बिहार में SIR के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बाद में प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड को भी जोड़ा गया। सोमवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र है। यह नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं है। इसलिए अगर कोई मतदाता आधार कार्ड दिखाता भी है तो उसे साथ में 11 दस्तावेजों में से कोई एक दिखाना ही होगा।

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