आवाजों वाले पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के आदेश 5 साल बाद भी लागू नहीं होने की वजह से राज्य सरकार की भूमिका को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने असंतुष्टि जाहिर की है। गुरुवार को हाई कोर्ट में राज्य के वकीलों को हाई कोर्ट की नाराजगी सहनी पड़ी, क्योंकि आवाजों वाले पटाखों के खिलाफ कदम उठाने के लिए गत 23 सितंबर को राज्य के मुख्यसचिव की बैठक में लिए गए फैसलों को अभी तक लागू किया गया है या नहीं, इसे लेकर भी अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं है।
कई बार सुनवाई को स्थगित करके न्यायाधीश विश्वजीत बसु और न्यायाधीश अजय कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच ने राज्य से सटीक जानकारियां देने के लिए कहा। एक बार तो न्यायाधीश बसु ने कह ही दिया कि लगभग 1 महीने पहले जीएस ने बैठक करके विज्ञप्ति जारी की थी। अब तक सभी जिलों में विज्ञप्ति भी नहीं पहुंची है!
क्यों ऐसा कोई अधिकारी अदालत में नहीं पहुंचा, जो इस बारे में पूरी जानकारी दे सकेगा। आपलोगों को कुछ भी पता नहीं है। कोर्ट को सिर्फ कागज पकड़ाकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ना चाहते हैं? विज्ञप्ति में जिलों से 160 स्वेच्छासेवकों को प्रशिक्षित कर कार्यशाला का आयोजन करने के लिए कहा गया था। उस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।
न्यायाधीश ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, 'तो फिर मैं ऑर्डर लिख ही देता हूं कि राज्य आवाज वाले पटाखों को बंद करने के मामले में उदासीन है। मैं आधे घंटे का समय दे रहा हूं। सीधे सीएस को पूछिए। उनकी विज्ञप्ति को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इस बारे में जानकारी देनी होगी।'
दो बार सुनवाई को स्थागित करने के बाद आखिरकार शाम को राज्य और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अदालत ने पूछा, 'इतने दिनों में भी चेतावनी विज्ञप्ति जारी नहीं की गयी है? बिना किसी दिशा-निर्देश के ही पटाखों का बाजार शुरू हो चुका है? क्यों पटाखों के बाजार में पर्यावरण विभाग के लोगों को भेजकर निगरानी नहीं की जा रही है?' हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दुर्गा पूजा की छुट्टियों के 3 सप्ताह बाद ही आवाज वाले पटाखों के बारे में सारी जानकारियों का रिपोर्ट जमा करना होगा।