SSC नियुक्ति मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी आखिरकार खुली हवा में सांस लेने वाले हैं। 3 सालों बाद जेल से छूटने वाले हैं पार्थ चटर्जी। इस बाबत मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सीबीआई के 8 गवाहों की गवाही ले लेने के बाद अब पार्थ चटर्जी को जेल से छोड़ने का आदेश दिया गया है। बताया जाता है कि आज (सोमवार) को 8वें गवाह के तौर पर एसएससी के एक अधिकारी की गवाही पूरी हुई।
पार्थ चटर्जी के साथ एसएससी के पूर्व चेयरमैन सुबिरेश भट्टाचार्य भी जेल से छूटने वाले हैं। बताया जाता है कि पार्थ चटर्जी की जमानत की शर्तों के अनुसार ₹90 हजार जमा किए जा चुके हैं। सीबीआई की विशेष अदालत जैसे ही रिलीज लेटर देती है, उसे तुरंत प्रेसिडेंसी जेल में जमा कर दिया जाएगा। इसके बाद किसी भी समय पार्थ चटर्जी जेल से बाहर निकल सकते हैं। वर्तमान में बाईपास के पास एक निजी अस्पताल में पार्थ चटर्जी का इलाज चल रहा है।
गौरतलब है कि स्कूल सर्विस कमिशन की शिक्षक नियुक्ति के मामले में वर्ष 2022 को पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया गया था। 22 जुलाई 2022 को दक्षिण कोलकाता के नाकतला में मौजूद पार्थ चटर्जी के निवास स्थान पर ईडी की छापेमारी हुई थी। छापेमारी के दौरान लंबे समय तक उनसे पूछताछ भी की गयी थी। इसके बाद पार्थ चटर्जी की नजदीकी करार दी गयी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट पर भी ईडी के अधिकारियों ने तलाशी अभियान चलाया था। अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से भारी मात्रा में नगदी बरामद की गयी थी। नगद रुपयों को गिनने के लिए मशीनें तक मंगवानी पड़ी थी।
इससे पहले भी पार्थ चटर्जी ने जमानत के लिए आवेदन किया था। बाद में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पार्थ चटर्जी को सशर्त जमानत दी जा सकती है। लेकिन उससे पहले चार्ज गठन और महत्वपूर्ण गवाहों का बयान लेने की प्रक्रिया को पूरी करनी होगी। उसके बाद ही पार्थ चटर्जी जेल से घर जा सकते हैं।