बंगाल समेत 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा हो चुकी है। सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने घोषणा की कि पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में 28 अक्टूबर यानी मंगलवार से SIR प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बंगाल में 2002 में SIR हुआ था। उस समय जिनके नाम मतदाता सूची में थे, इस बार उनका नाम लगभग बाहर है। हालांकि उन लोगों का क्या होगा जिनके नाम 2002 में SIR सूची में नहीं थे या जिनके पिता या माता का नाम उस सूची में नहीं था? मुख्य चुनाव आयुक्त ने आज यह स्पष्ट कर दिया।
एसआईआर प्रक्रिया मंगलवार से चरणों में आगे बढ़ेगी। बीएलओ का प्रशिक्षण और गणना प्रपत्रों की छपाई 3 नवंबर तक चलेगी। इसके बाद गणना का चरण 4 दिसंबर तक चलेगा। फॉर्म में मतदाता का नाम, ईपीआईसी नंबर, पता, वर्तमान फोटो, जन्मतिथि, आधार नंबर, मोबाइल नंबर, कानूनी अभिभावक का नाम, उसका ईपीआईसी नंबर, माता का नाम और ईपीआईसी नंबर देना होगा। साथ ही जरूरी दस्तावेज भी देने होंगे। मुख्य रूप से जन्म प्रमाण पत्र से जुड़े दस्तावेज। इन सभी दस्तावेज़ों के आधार पर मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशित किया जाएगा।
जिनका नाम 2002 की SIR सूची में है उन्हें 2025 की SIR सूची की चिंता नहीं करनी है। उन्हें इतने सारे दस्तावेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन अगर किसी का नाम पिछली SIR में नहीं है या उसके माता या पिता का नाम 2002 की SIR सूची में नहीं है तो क्या होगा?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद ईआरओ उन लोगों को नोटिस भेजेगा जिनका नाम 2002 की सूची से मेल नहीं खाता या उससे लिंक नहीं है। नोटिस के बाद सुनवाई होगी। उसमें दिए गए 11 दस्तावेजों में से कोई एक दिखाना होगा। उसकी जांच की जाएगी। ईआरओ जानना चाहेगा कि वह मतदाता 2002 में कहां था? उसके पिता, माता कहां थे?" यह नोटिस अवधि 9 दिसंबर से 31 जनवरी तक जारी रहेगी। इस दौरान सुनवाई और सत्यापन का काम होगा। अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।