एई समय : प्रसिद्ध संगीतकार शुभप्रसाद नंदी मजूमदार ने अदालत की अवमानना का आरोप लगाकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मुकदमा दायर किया है। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई थी। आरोप है कि शर्त पूरी करने के बाद भी सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का लाभ नहीं दिया गया है।
आरोप है कि वर्धमान यूनिवर्सिटी के कुलपति ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना की है। हालांकि वकीलों से ऐसा संकेत मिलने के बाद कि अदालत इस मामले में कड़ी टिप्पणी दे सकती है, गुरुवार को ही आनन-फानन में विश्वविद्यालय के विज्ञान विभाग के फैकल्टी काउंसिल के वरिष्ठ सचिव के पद पर कुलपति ने उनका कार्यकाल बढ़ाकर नियुक्ति पत्र दे दिया है।
जानकारी के अनुसार शुभप्रसाद विश्वविद्यालय में विज्ञान विभाग के फैकल्टी काउंसिल के पहले सचिव और बाद में वरिष्ठ सचिव के पद पर कार्यरत थे। उस समय राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश में 10 साल के अध्यापन अनुभव वालों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी थी। शुभप्रसाद ने इससे पहले असम के काछाड़ कॉलेज में 10 साल से अधिक समय तक पढ़ाया था।
आरोप है कि उससे संबंधित सभी दस्तावेज विश्वविद्यालय में जमा करने के बाद भी उन्हें सरकार का वह लाभ नहीं दिया गया। उन्हें 60 साल की उम्र में ही सेवानिवृत्त होने के लिए मजबूर किया गया। इसका विरोध जताते हुए पहले उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया था।
हाईकोर्ट का फैसला उनके खिलाफ जाने पर वह सुप्रीम कोर्ट गए और सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले 30 जुलाई को उन्हें 65 साल तक नौकरी पर बहाल रखने का आदेश दिया। आरोप है कि 31 जुलाई को उस फैसले की प्रति कुलपति को सौंपने के बावजूद उनकी नौकरी का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया। इसके बाद उन्होंने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इस मामले में शुभप्रसाद ने कहा, 'सिर्फ इतना ही कहूंगा, सत्य की जीत हुई है। इस दौरान मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान बहुत से लोगों, दोस्तों और साथियों को नए सिरे से जानने का मौका मिला।'