ओडिशा की एक मेडिकल छात्रा के साथ दुर्गापुर में कथित तौर पर बलात्कार किया गया। समाचार लिखे जाने तक इस घटना में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजुमदार ने शनिवार दोपहर अस्पताल में इलाज करा रही पीड़िता से बात की। पीड़िता से मिलने के बाद आयोग की सदस्य ने पुलिस और कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पुलिस ने पीड़िता के एक सहपाठी को हिरासत में लिया है। घटना के बाकी आरोपियों की तलाश जारी है।
पीड़िता का परिवार शुरू से ही एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में उसके सहपाठी की भूमिका पर सवाल उठा रहा था। उस दिन पीड़िता से मिलने के बाद आयोग की सदस्य अर्चना ने कहा, "पीड़िता ने मुझे बताया कि छात्र ने उसे कॉलेज परिसर से बाहर जाने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने सवाल किया कि जब लड़की को प्रताड़ित किया जा रहा था तो लड़का भाग क्यों गया?"
अर्चना ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "घटना को लगभग 24 घंटे बीत चुके हैं। पुलिस ने अभी तक घटनास्थल की घेराबंदी नहीं की है। वे जगह की ठीक से पहचान भी नहीं कर पाए हैं। सारे सबूत नष्ट कर दिए गए हैं। फोरेंसिक टीम भी नहीं आई है।" निजी मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों पर भी सवाल उठाए गए हैं। अर्चना ने आगे कहा, "वहां उच्च गुणवत्ता वाले सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगाए गए? जिससे उनके चेहरे देखकर उनकी पहचान की जा सके।" वहीं डीसी (पूर्व) अभिषेक गुप्ता ने कहा, "पीड़ित छात्रा के साथ हुई घटना के चश्मदीद लड़के से पूछताछ की जा रही है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।"
गौरतलब है कि शुक्रवार रात छात्रा अपनी एक सहपाठी के साथ कॉलेज परिसर के बाहर गई थी। आरोप है कि उसी दौरान पांच युवक आए और उसे बंधक बना लिया। पीड़िता को जबरन सड़क से उठाकर पास के जंगल में ले गए। वहां उसके साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया।
घटना सामने आते ही भाजपा ने उसी दिन दुर्गापुर में विरोध प्रदर्शन किया। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी यह मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि 'राज्य में महिलाओं की कोई सुरक्षा नहीं है।' जवाब में तृणमूल कांग्रेस ने कहा, "बलात्कार जैसे जघन्य अपराध की कड़ी निंदा और सख्त से सख्त कानून बनाने की जरूरत है। बलात्कार विरोधी विधेयक को लागू हुए एक साल भी नहीं हुआ है। केंद्र ने इसे कानून में बदलने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।"