विश्वदेव भट्टाचार्य, आसनसोल
रेल में सुरक्षित और आरामदायक तरीके से यात्रा को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने अब यात्रियों के सामानों की निगरानी करनी शुरू कर दी है। सामानों को वजन करने का अभियान भी शुरू कर दिया गया है। लेकिन त्योहार के मौसम में यह पहल शुरू होने से कई यात्री नाराज दिखाई दे रहे हैं।
विशेष रूप से उत्तर भारत जाने वाले यात्रियों की शिकायत है कि इस बार वे अपनी इच्छा के अनुसार सामान नहीं ले जा पाएंगे। निर्धारित वजन सीमा पार करने पर जुर्माना देना होगा। एयरपोर्ट की तरह रेलवे के इस फैसले से आम यात्रियों का एक वर्ग काफी नाराज है।
पश्चिम वर्धमान जिले के आसनसोल स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार पर पहले ही पोर्टेबल डिजिटल वजन मशीन लगा दी गई है। वहां यात्रियों की टिकट श्रेणी के आधार पर सामान का वजन मापा जा रहा है। रेलवे के जनसंपर्क विभाग ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य - निर्धारित सामान नीति को लागू करना, ट्रेन में चढ़ने-उतरने में अनुशासन बनाए रखना और अतिरिक्त बोझ ढोने के कारण आवागमन में होने वाली देरी को रोकना है।
रेलवे के एक अधिकारी का कहना है कि इस पहल के माध्यम से हम यात्रियों को जागरूक करना चाहते हैं। टिकट के अनुसार जितना सामान ले जाने का नियम है, उसका सभी पालन करें। निर्धारित सीमा से अधिक होने पर अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह पहल पूरे साल लागू रहेगी। आसनसोल डिवीजन के अन्य महत्वपूर्ण स्टेशनों पर भी धीरे-धीरे यही व्यवस्था लागू करने की योजना है। रेल प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि त्योहार के व्यस्त मौसम में सामान जांच अभियान का उद्देश्य यात्रियों को असुविधा पहुंचाना नहीं, बल्कि भीड़ के बीच अनुशासन बनाए रखते हुए बिना किसी परेशानी के यात्रा को सुनिश्चित करना है। हालांकि यात्रियों का एक समूह इसे मानने को तैयार नहीं है।
आसनसोल के निवासी प्रबाल बसु का कहना है कि त्योहार के समय कई लोग अपने पूरे परिवार के साथ अपने गृह नगर लौटते हैं। साथ में कपड़े, मिठाई, उपहार होते हैं। इन सबका वजन थोड़ा ज्यादा ही होता है। अब इसे लेकर समस्या होगी।
रूपनारायणपुर के निवासी दुर्गाशंकर चट्टोपाध्याय और विजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय रेलवे यात्री सुविधा के नाम पर असल में नए तरीके से पैसा कमाने का रास्ता ढूंढ रही है। यह हवाई यात्रा के लिए तो उचित हो सकता है लेकिन साधारण रेल यात्रा के लिए नहीं। इससे सबसे ज्यादा नुकसान निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग के यात्रियों को होगा।