बचपन में दादा-दादी, नाना-नानी या माता-पिता से कई लोगों ने रामायण की कहानी सुनी है। बच्चों के लिए वह उस समय सपनों की दुनिया होती थी। अब वह दुनिया पूर्व बर्दवान के तेलीपुकुर पूजा मंडप में जीवंत की जा रही है। रामायण की कहानी को नक्काशी और लेज़र शो के माध्यम से पेश किया जा रहा है। 44वें वर्ष में बर्दवान के तेलीपुकुर सुकांत स्मृति संघ का थीम इस बार रामायण है।
रावण का वध करके सीता को वापस लाए थे राम। उस विजय को स्मरण करके हर साल विजयादशमी मनाई जाती है। आयोजकों का दावा है कि यह महाकाव्य केवल वीरता का नहीं है। यह सत्य, न्याय और त्याग की कथा भी है। राम का धैर्य, लक्ष्मण का भ्रातृप्रेम, सीता की अग्निपरीक्षा और हनुमान की असीम भक्ति—ये सभी आज भी मार्गदर्शन देते हैं। इस विषय को दर्शकों तक पहुँचाने के लिए यही थीम चुनी गई है।
तेलीपुकुर सुकांत स्मृति संघ का इस वर्ष का बजट 44 लाख रुपये है। मेदिनीपुर के कलाकारों के हुनर से रामायण की कहानी में मंडप सजाया गया है। रामायण के विभिन्न अध्यायों की कहानियों से मंडप को सजाया गया है।
कलाकार बता रहे हैं कि मंडप पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बनाया गया है। इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए मूर्तियों को हॉगला पत्तियों और विभिन्न प्रकार के फलों के बीजों से सजाया गया है।