लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया दरअसल एनआरसी का छुपा हुआ रूप है और इसके जरिए भाजपा विरोधी मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश की जा रही है।
हैदराबाद में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव आयोग को मतदाताओं के नाम काटने के बजाय मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। उनका दावा है कि उत्तर प्रदेश में तीन करोड़ से अधिक मतदाताओं के नाम हटने का खतरा है।
उन्होंने कहा कि यदि बड़े पैमाने पर वोट काटे जाते हैं और जिन इलाकों में भाजपा हारती है, वहां से मतदाता हटाए जाते हैं। यह लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह SIR नहीं बल्कि SIR के नाम पर NRC लागू करने की कोशिश है। NRC में भी वही दस्तावेज मांगे जाते हैं जो अब SIR में मांगे जा रहे हैं।
अखिलेश यादव विजन इंडिया- एआई समिट में भाग लेने के लिए हैदराबाद पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव बढ़ रहा है चाहे वह कृषि हो या स्वास्थ्य। इसी सोच के तहत उन्होंने विजन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है जिसका उद्देश्य देश को एक स्पष्ट दृष्टि के साथ आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि राजनीति का आधार दृष्टि होनी चाहिए, विभाजन नहीं।
संसद के शीतकालीन सत्र पर टिप्पणी करते हुए यादव ने कहा कि SIR से लोगों को उसी तरह परेशानी हो रही है जैसी नोटबंदी, कोरोना काल और जीएसटी लागू होने के समय हुई थी।
हैदराबाद दौरे के दौरान उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने उन्हें राज्य की विकास और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी।
इसके बाद उन्होंने बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव और अन्य नेताओं से मुलाकात की। बैठक के बाद यादव ने कहा कि राजनीति में नकारात्मकता खत्म होनी चाहिए और विकास पर जोर दिया जाना चाहिए। के.टी. रामाराव का कहना है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन से प्रेरणा लेती है जहां सत्ता में न होने के बावजूद पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 37 सीटें जीतीं। अखिलेश यादव ने युवाओं की सराहना करते हुए कहा कि वे प्रगतिशील, सहिष्णु और समावेशी हैं तथा समाज को बांटने की राजनीति को खारिज करते है।