20 साल वोट न लड़कर भी दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ, क्यों चुनाव में ‘नॉन प्लेयर’ हैं नीतीश कुमार?

विधानसभा चुनाव में न लड़ने के कारण पर खुद मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने सफाई दी थी।

By तुहिना मंडल, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 20, 2025 11:41 IST

बिहार में फिर से बाजी जीत कर दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं नीतीश कुमार। उनके नेतृत्व में एनडीए खेमे ने बिहार विधानसभा चुनाव में चौंकाने वाला प्रदर्शन किया है। लेकिन नीतीश ‘नॉन प्लेइंग कैप्टेन’ थे। वे खुद चुनावी मैदान में नहीं उतरे। उनके राजनीतिक सफर के अनुसार, 1985 में वे पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में जीते थे। केंद्र था हरनौत। उसी सीट से 1995 में दोबारा चुनाव लड़कर वे हार गए। उसके बाद करीब 20 साल तक उन्होंने बिहार के किसी भी विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। इसके बजाय वे विधान परिषद के माध्यम से चुनकर मुख्यमंत्री बने।

रिकॉर्ड बताते हैं कि विधानसभा चुनाव न लड़ने के बावजूद लोकसभा चुनाव में वे उम्मीदवार बने थे। 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में हिस्सा लिया। 1989 में वे बाढ़ से चुनाव जीते थे। 2004 में उन्होंने बाढ़ और नालंदा से चुनाव लड़ा था। हालांकि बाढ़ से उस बार वे हार गए थे। उसी साल उन्होंने अंतिम बार किसी चुनाव में हिस्सा लिया। नवंबर 2005 से वे बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे हैं। केवल 2014 और 2015 के बीच नौ महीनों को छोड़ दें, तो वे लगातार इस पद पर रहे हैं।

विधानसभा चुनाव क्यों नहीं लड़ते हैं नीतीश कुमार?

चुनावी जंग के सक्रिय सिपाही के रूप में नीतीश दिखाई क्यों नहीं देते? जनवरी 2012 में उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे की वजह बताई थी। नीतीश ने कहा था, “मैंने अपनी इच्छा से विधान परिषद का सदस्य बनने का फैसला किया है। इसमें कोई बाध्यता नहीं है। विधान परिषद एक सम्मानित संस्था है।”

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय भी चुनाव नहीं लड़ने को लेकर नीतीश ने उल्लेखनीय टिप्पणी की थी। उनका कहना था कि अगर वे व्यक्तिगत तौर पर चुनाव लड़ेंगे, तो उनका ध्यान सिर्फ एक ही सीट पर केन्द्रित हो जाएगा। पार्टी या गठबंधन के कप्तान के रूप में यह ठीक नहीं है।

विधान परिषद क्या है?

विधान परिषद, विधानसभा का उच्च सदन है। देश के छह राज्यों में विधान परिषद मौजूद है जिनमें बिहार भी शामिल है। विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव इस आधार पर होता है कि विधानसभा चुनाव में कौन-सी पार्टी को कितनी सीटें मिलीं। विधान परिषद का सदस्य बनने पर व्यक्ति मंत्री भी बन सकता है।

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