जुबीन गर्ग की याद में रासमेला उत्सव को लेकर कूचबिहार नगरपालिका का बड़ा फैसला

असम निवासी लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग का निधन हो गया। कूचबिहार के सबसे बड़े उत्सव रासमेला का मुख्य सांस्कृतिक मंच लोकप्रिय गायक के नाम पर समर्पित किया गया है।

By Rinika Roy Chowdhury, Posted By : Moumita Bhattacharya

Sep 25, 2025 12:35 IST

एई समय : 'गैंगस्टर' फिल्म के 'या अली रहम वाली...' गाने को गाकर जुबीन गर्ग ने लाखों लोगों का दिल जीत लिया था। बंगाली, असमिया से लेकर बॉलीवुड की कई फिल्मों में उन्होंने गाने गाए हैं। हाल ही में असम निवासी लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग का निधन हो गया। सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान पानी में डूबने से उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु पर सिर्फ असम ही नहीं, पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी है। अब कूचबिहार के सबसे बड़े उत्सव रासमेला का मुख्य सांस्कृतिक मंच लोकप्रिय गायक के नाम पर समर्पित किया गया है।

उत्तर-पूर्व भारत का सबसे बड़ा उत्सव कूचबिहार रासमेला है। इस साल 6 नवंबर से यहां रासमेला शुरू होने वाली है। रासमेला में लोकप्रिय गायक को श्रद्धांजलि अर्पित करने का विशेष प्रयास किया गया है। बुधवार को कूचबिहार नगरपालिका के मेयर रवींद्रनाथ घोष ने संवादददाता सम्मेलन में बताया कि जुबीन गर्ग के नाम पर रासमेला के मुख्य सांस्कृतिक मंच को समर्पित किया जा रहा है।

रवींद्रनाथ घोष ने कहा कि इस महान संगीतकार ने खुद को सिर्फ असम तक ही सीमित नहीं रखा। वे खुद को आधा बंगाली भी कहते थे। जुबीन गर्ग पूरे उत्तर-पूर्व भारत का गौरव हैं। कूचबिहार रासमेला मंच पर भी उन्होंने गाने भी गाए थे। बंगाल के प्रति उनका एक अलग लगाव और प्यार था। इसलिए इस बार का रासमेला मंच उनको समर्पित किया जा रहा है।

मुख्य मंच पर उनका कट आउट रखा जाएगा। उनके परिवार से भी संपर्क किया जा रहा है। घोष का कहना है कि जुबीन गर्ग को श्रद्धांजलि देते हुए सिर्फ कट आउट ही नहीं बल्कि बहुत जल्द कूचबिहार शहर में लोकप्रिय गायक की एक मूर्ति स्थापित करने की योजना भी बनायी जा रही है।

कूचबिहार में रासमेला सबसे बड़ा उत्सव है। रासमेला 6 नवंबर से शुरू होकर अगले लगभग 15-20 दिनों तक चलेगा। कूचबिहार के मदनमोहन की रासयात्रा के उपलक्ष्य में ही लंबे समय से यह मेला आयोजित होता आ रहा है। इस बार रासमेला का 214वां वर्ष है। सिर्फ कूचबिहार ही नहीं, देश और विदेश के कई लोग भी इस मेले में आते हैं। मेले में लगभग 2000 से अधिक स्टॉल लगाए जाते हैं जहां स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाए गए सामान उपलब्ध होते हैं।

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