'शाम से अचानक बारिश, लगातार बिजली चमकना और घुप अंधेरा', कालिम्पोंग के गांव में फंसा बैद्यबाटी का परिवार

वहां जाकर इस तरह की मुसीबत में फंस जाएंगी, इसका उनको या उनके परिवार को कोई अंदाजा नहीं था। कालिम्पोंग के पहाड़ों से घिरे छोटे से गांव बेंदा कागेत में इस समय वे फंसे हुए हैं।

By Sayani Joardar, Posted By : Moumita Bhattacharya

Oct 05, 2025 19:22 IST

हुगली के बैद्यबाटी के जोड़ा अश्वत्थतला निवासी रेशमी बंद्योपाध्याय दुर्गा पूजा की छुट्टियों में पहाड़ों पर घूमने गई थी। लेकिन वहां जाकर इस तरह की मुसीबत में फंस जाएंगी, इसका उनको या उनके परिवार को कोई अंदाजा नहीं था। कालिम्पोंग के पहाड़ों से घिरे छोटे से गांव बेंदा कागेत में इस समय वे फंसे हुए हैं। वहीं से उन्होंने एई समय ऑनलाइन को बताया कि शनिवार की रात से वहां क्या चल रहा है —

शनिवार रात को एक भयावह अनुभव का गवाह बने। शाम 5 बजे के करीब हम दावाईपानी से कालिम्पोंग के पहाड़ों से घिरे छोटे से गांव बेंदा कागेत पहुंचे। जिस होम स्टे में हम ठहरे हैं, उसके बगल से ऋषि नदी बह रही है। शाम तब साढ़े 7 बजे थी। बारिश शुरू हो गई। रात बढ़ रही है, बारिश का प्रकोप भी बढ़ता गया। साथ में बिजली चमकने और बादलों के गरजना भी जारी रहा।

रात को करीब डेढ़ बजे नींद खुल गई। उठकर देखा तो बिजली गुल थी। चारों ओर घुप अंधेरा छाया हुआ था। खिड़की के कांच से आसमान में चमक रही बिजली की रोशनी कमरे में आ रही थी। बादलों के गरजने और बिजली के कड़कने की वजह से कान सुन्न पड़ जा रहे थे। उस समय अहसास हो रहा था कि मौसम विभाग की चेतावनी मानकर अभी नहीं आना ही बेहतर होता।

दिन की रोशनी फूटते ही हमने कमरे से बाहर निकलकर देखा तो चारों तरफ पानी ही पानी नजर आया। जिस ऋषि नदी को कल शाम देखा था, वह सुबह उठकर पहचाना ही नहीं जा रहा। कालिम्पोंग के बेंदे कागेत में अभी भी बिजली नहीं है। लोगों में यहां चर्चाएं हैं कि भूस्खलन से सड़कें बंद हो गई है। हमें सोमवार की शाम को न्यू माल से कंचनकन्या एक्सप्रेस से घर लौटना था। अब यह भी नहीं पता कि वह ट्रेन पकड़ पाएंगे भी या नहीं।

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