सिलिगुड़ी। ग्लेशियर बांध टूटने से लेकर भारी बारिश तक - सिक्किम की मुश्किलें कभी खत्म नहीं होतीं! स्थानीय निवासियों को हर मौसम में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और उनकी आय का एक मुख्य स्रोत, पर्यटन भी प्रकृति के प्रकोप से प्रभावित होता है।
इससे पहले 2023 में 4 अक्टूबर को सिक्किम में भीषण प्राकृतिक आपदा आई थी जब दक्षिण लोनक ग्लेशियर का बांध टूट गया था। कलिम्पोंग भी इससे अछूता नहीं रहा। इस बार 4 अक्टूबर की रात लगातार बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 को बंद कर दिया गया। इस सड़क को सिक्किम की जीवन रेखा कहा जाता है। इस सड़क से सिलीगुड़ी से गंगटोक मात्र साढ़े चार घंटे में पहुंचा जा सकता है जो वैकल्पिक सड़क उपलब्ध है, उससे गंगटोक पहुँचने में कम से कम साढ़े छह घंटे लगते हैं। अगर रास्ते में जाम लग जाए तो समय और भी ज़्यादा लग जाता है। इसलिए पर्यटक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 को ज्यादा पसंद करते हैं।
शनिवार की आपदा के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने से पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि रविवार शाम को भूस्खलन के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग फिर से खोल दिया गया लेकिन कोई भी वाहन चालक उस रास्ते से जाने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था। भारी बारिश के कारण पहाड़ की मिट्टी पूरी तरह से ढीली हो गई है। कभी भी फिर से भूस्खलन हो सकता है। ऊंचे पहाड़ों से भारी चट्टानें गिर सकती हैं। ऐसे में पर्यटक अपने गंतव्य तक कैसे पहुँचेंगे?
स्थानीय वाहन चालकों ने इस स्थिति का भरपूर फायदा उठाया है। वैसे तो सिलीगुड़ी से गंगटोक पहुंचने में सिर्फ़ 5,000 रुपये लगते हैं लेकिन इस दिन कुछ वाहन चालकों ने 12,000 रुपये तक वसूले। जब पर्यटकों में इस बात को लेकर रोष बढ़ा तो पर्यटन विभाग ने तुरंत एक हेल्पलाइन शुरू की। हालांकि खबर पहुंचने से पहले ही कई पर्यटक अतिरिक्त किराया देकर सिलीगुड़ी आ चुके थे।
प्राकृतिक आपदाओं को लेकर सिक्किम की चिंता स्वाभाविक है। पर्यटन राज्य की आय का मुख्य स्रोत है। पर्यटक गर्मी के मौसम में या पूजा के दौरान ठंड का मजा लेने और सर्दियों में बर्फबारी देखने के लिए सिक्किम आते हैं। हालांकि अक्टूबर 2023 के बाद उत्तरी सिक्किम लगभग बंद हो गया था।
इस साल मई में उत्तरी सिक्किम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था लेकिन आपदा ने फिर से सब कुछ तबाह कर दिया। इस बार पूजा के दौरान सिक्किम में पर्यटन से जुड़े व्यवसाय में कोई खास तेजी नहीं आई। अब बस यही उम्मीद है कि अगली सर्दियों में बर्फबारी देखने के लिए पर्यटक आएं। क्या वह रास्ता भी शनिवार की आपदा के कारण बंद था, यह अब चर्चा का विषय है।
सिक्किम पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि अगर कोई वैकल्पिक मार्ग बना भी दिया जाए तो भी राष्ट्रीय राजमार्ग 10 का कोई विकल्प नहीं है। अगर इस सड़क की मरम्मत नहीं की गई तो पर्यटकों की परेशानी दूर नहीं होगी। व्यापार को भी साल-दर-साल नुकसान होगा। प्रख्यात भूविज्ञानी बिस्वजीत बेरा के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग 10 से सटे इलाके की पहाड़ियों की संरचना ऐसी है कि भारी बारिश या भूकंप आने पर यह सड़क बार-बार ढह जाएगी। इनमें तीस्ता नदी पर एक के बाद एक बन रही जलविद्युत परियोजनाओं और सेवक-रोंगपो रेलवे लाइन के ढहने का खतरा और बढ़ गया है।