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उन्नाव बलात्कार मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर की रिहाई पर रोक लगाई, दोषी जेल में रहेगा

पॉक्सो कानून की व्याख्या पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, हाई कोर्ट आदेश स्थगित, पीड़िता को राहत

By डॉ. अभिज्ञात

Dec 29, 2025 15:32 IST

नयी दिल्लीः2017 के उन्नाव नाबालिग बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के 23 दिसंबर के उस आदेश के संचालन पर स्थगन लगाया, जिसमें सेंगर की आजीवन कारावास की सज़ा निलंबित कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सेंगर को जेल से रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि वह एक अन्य मामले में भी सज़ायाफ्ता है। अगली सुनवाई तक दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश लागू नहीं होगा और कुलदीप सिंह सेंगर जेल में ही रहेगा।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाले तीन जजों के पीठ ने सीबीआई की अपील पर सेंगर को नोटिस जारी किया और कहा कि विशेष परिस्थितियों को देखते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक आवश्यक है। अदालत ने यह भी कहा कि आमतौर पर बिना सुनवाई के ऐसे आदेशों पर रोक नहीं लगाई जाती, लेकिन यहां तथ्य अलग हैं क्योंकि आरोपी एक अन्य अपराध में भी दोषी है।

सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कहा गया कि पॉक्सो अधिनियम के तहत ‘लोक सेवक’ की परिभाषा में वह व्यक्ति भी आएगा जो बच्चे पर प्रभुत्व की स्थिति में हो और उस स्थिति का दुरुपयोग करे। सीबीआई ने दलील दी कि घटना के समय सेंगर एक प्रभावशाली विधायक था और उसने इस प्रभुत्व का इस्तेमाल किया। वहीं, सेंगर की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों ने तर्क दिया कि विधायक को पॉक्सो के तहत ‘लोक सेवक’ नहीं माना जा सकता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि यदि ऐसी व्याख्या स्वीकार की गई तो विधायकों और सांसदों को छूट मिल सकती है, जो कानून की मंशा के खिलाफ होगा।

गौरतलब है कि 2019 में एक ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी और उसे ‘लोक सेवक’ की श्रेणी में माना था। कानून के अनुसार, गंभीर यौन अपराध में न्यूनतम 20 वर्ष की सज़ा से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी सेंगर की सज़ा निलंबन के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी।

पीड़िता और दोषी की बेटी दोनों का क्या कहना है?

दिल्ली में एआईपीडब्ल्यूए के समर्थन प्रदर्शन के बीच पीड़िता ने आरोप लगाया कि जमानत के बाद उसके परिवार को धमकियां मिल रही हैं और उसने योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पीड़िता के वकील ने कहा कि यह जीत नहीं, बल्कि पीड़िता के लिए “थोड़ा सांस लेने का समय” है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई ने अदालत में सीमित बिंदुओं पर ही दलील दी और पीड़िता के कानूनी पक्ष से परामर्श नहीं किया। वहीं, पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग दोहराई और आरोपी को कठोरतम सज़ा देने की अपील की।

दूसरी ओर, इस बीच सेंगर की बेटी और उनकी वकील ऐश्वर्या सेंगर सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, जबकि पीड़िता ने न्याय मिलने का भरोसा जताते हुए अपनी सुरक्षा की मांग की। सेंगर की बेटी ने सोशल मीडिया पर एक खुला पत्र लिखकर कहा कि उनका परिवार पिछले आठ वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है और उन्हें धमकियों व नफरत का सामना करना पड़ा है। उसने अपील की कि मामले में बिना दबाव और सार्वजनिक आक्रोश के केवल तथ्यों और कानून के आधार पर फैसला किया जाए।

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