काम का दबाव, सर्दी-खांसी, साइनस, माइग्रेन या शरीर में पानी की कमी, इन सभी वजहों से सिरदर्द हो सकता है। बहुत से लोग कभी-कभी सिरदर्द से परेशान रहते हैं लेकिन ज़्यादातर मामलों में यह दर्द कुछ समय बाद अपने-आप ठीक हो जाता है पर अगर सिरदर्द लंबे समय तक बना रहे, आराम करने या दवा लेने के बाद भी कम न हो तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। ऐसे में इसे हल्के में लेना ठीक नहीं है।
किन हालात में सिरदर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए?
अगर सिरदर्द के साथ नीचे दिए गए लक्षण दिखें तो सावधान हो जाएं और डॉक्टर से सलाह लें:
सिरदर्द अचानक बहुत तेज और असहनीय हो जाए
सिरदर्द बार-बार और पहले से ज़्यादा तेज़ होने लगे
सिर पर चोट लगने के बाद या कुछ दिनों बाद सिरदर्द शुरू हो
सिरदर्द के साथ बुखार, गर्दन का अकड़ना, भ्रम, बहुत ज़्यादा नींद आना
शरीर के किसी हिस्से में कमज़ोरी, सुन्नपन, बोलने में दिक्कत या देखने में परेशानी
दर्द की वजह से नींद बार-बार टूटना
चलने-फिरने, संतुलन बनाए रखने या याददाश्त पर असर पड़ना
इन लक्षणों में देरी करना नुकसानदायक हो सकता है।
जांच कराना क्यों जरूरी है?
कई लोग जांच का नाम सुनते ही डर जाते हैं और डॉक्टर के पास जाने से बचते हैं लेकिन लंबे समय तक रहने वाला या असामान्य सिरदर्द कभी-कभी: दिमाग में रक्तस्राव संक्रमण, ब्लड प्रेशर में बदलाव, रक्त नलिकाओं की समस्या की वजह से भी हो सकता है। सही समय पर जांच और इलाज से इन समस्याओं को आसानी से संभाला जा सकता है। कुछ लोग तेज सिरदर्द होते ही ब्रेन ट्यूमर का डर पाल लेते हैं। हकीकत में ऐसा बहुत कम मामलों में होता है। और अगर समय रहते जांच हो जाए तो गंभीर बीमारियों से भी बचाव संभव है।
आमतौर पर कौन-कौन सी जांच की जाती है?
न्यूरोलॉजिकल जांच
यह पहली और सबसे ज़रूरी जांच होती है। इसमें रिफ्लेक्स, मांसपेशियों की ताकत, शरीर का संतुलन, तालमेल, संवेदनशीलता और दृष्टि की जांच की जाती है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि दिमाग के किस हिस्से में समस्या हो सकती है।
ब्रेन MRI स्कैन
अगर लंबे समय से बिना वजह सिरदर्द हो रहा हो, तो डॉक्टर MRI कराने की सलाह दे सकते हैं। इससे ब्रेन ट्यूमर, स्ट्रोक, संक्रमण, सूजन, दिमाग में पानी जमा होना जैसी समस्याओं का पता चलता है।
ब्रेन CT स्कैन
अचानक दिमाग में रक्तस्राव या सिर की चोट से हुई समस्या देखने के लिए CT स्कैन किया जाता है। बड़े ट्यूमर का पता लगाने में भी यह मददगार होता है।
MRA या CTA (रक्त नलिकाओं की जांच)
अगर दिमाग की रक्त नलिकाओं में किसी तरह की गड़बड़ी का शक हो, तो ये जांचें कराई जाती हैं। इससे एन्यूरिज़्म, ब्लॉकेज या नलिकाओं की बनावट में गड़बड़ी का पता चलता है। कुछ मामलों में दिमाग और रीढ़ की हड्डी के आसपास मौजूद तरल (सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड) की भी जांच करनी पड़ सकती है। सबसे जरूरी बात कोई भी जांच कराने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।