🔔 ताज़ा ख़बरें सबसे पहले!

Samachar EiSamay की ब्रेकिंग न्यूज़, राजनीति, खेल, मनोरंजन और बिज़नेस अपडेट अब सीधे आपके पास।

रात-दर-रात जाग रहे हैं? क्या आपने ‘स्लीप बैंकिंग’ कर रखी है?

तुरंत नहीं लेकिन कम सोने की आदत धीरे-धीरे मेटाबॉलिज़्म, हार्मोन, त्वचा, बाल और रक्त शर्करा, सब पर असर डालती है।

By अंकिता दास, Posted by: प्रियंका कानू

Dec 22, 2025 16:05 IST

सांस लेना, खाना, मल-मूत्र त्यागने की तरह तय समय पर सो जाना भी शरीर की एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है। सूर्योदय और सूर्यास्त के साथ हमारी बॉडी क्लॉक भी तालमेल बनाकर चलती है। हालांकि मौजूदा कार्य-संस्कृति इस नियम को शायद ही मानती है। कभी रात में काम और दिन में नींद तो कभी दिन में काम करने के बावजूद रात भर फिल्म या वेब सीरीज देखने की आदत।

इस तरह रात-दर-रात नींद की कमी होना स्वाभाविक रूप से शरीर पर नकारात्मक असर डालता है। भले ही इसका असर तुरंत न दिखे, लेकिन धीरे-धीरे यह मेटाबॉलिज़्म, हार्मोनल संतुलन, त्वचा, बाल और ब्लड शुगर—हर चीज़ को प्रभावित करता है।

हालांकि नवंबर 2025 में ऑक्सफोर्ड अकादमिक्स की स्लीप जर्नल में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि यदि ‘स्लीप बैंकिंग’ के जरिए नींद को पहले से संचित कर लिया जाए और ज़रूरत पड़ने पर उसका उपयोग किया जाए तो भविष्य में होने वाली इन समस्याओं को काफी हद तक रोका जा सकता है। शोधकर्ता थॉमस जे. बाल्किन्स के अनुसार जिसका भी स्लीप साइकल जैसा हो, पुरुष या महिला, हर कोई इस विशेष पद्धति से नींद की कमी की भरपाई कर सकता है।

‘स्लीप बैंकिंग’ क्या है?

जैसे पैसे, सोना या यादें बैंक में जमा की जाती हैं, वैसे नींद को शब्दशः जमा नहीं किया जा सकता। लेकिन तय समय से कुछ घंटे अधिक सो लेने से भविष्य में उसका लाभ जरूर मिलता है। जब नींद कम होती है तब स्लीप बैंकिंग मस्तिष्क की कार्यक्षमता बनाए रखने और शारीरिक ऊर्जा को संभालने में खास मदद करती है।

यह सिद्धांत कैसे काम करता है?

यह पद्धति पूरी तरह वैज्ञानिक है। आमतौर पर वयस्कों को रात में 7–8 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है लेकिन यदि इस निर्धारित समय से 1–2 घंटे अधिक सो लिया जाए तो वही नींद आगे चलकर काम आती है। खासतौर पर वे दिन जब अत्यधिक मेहनत करनी हो, परीक्षा का समय हो, रात भर जागकर काम करने की योजना हो या लंबी यात्रा करनी हो, ऐसे अवसरों से पहले यदि 10–12 घंटे की नींद ले ली जाए, तो बाद में नींद की कमी का असर काफी हद तक कम हो जाता है।

Prev Article
क्या आपको भी हो सकता है डिमेंशिया? इन 6 शुरुआती लक्षणों को कभी न करें नजरअंदाज

Articles you may like: