पहाड़–जंगल, नदी–झरना। जंगली जानवरों से घिरा पूर्व अफ़्रीका का देश युगांडा। अक्सर दुनिया के मंच पर इस देश की गरीबी चर्चा में आती है। उसी युगांडा की एक महिला फुटबॉलर ने ईस्टबंगाल क्लब का लाल पीला मशाल उठाया। नेपाल में महिलाओं के साफ़ क्लब कप में ईस्टबंगाल ने चैंपियनशिप जीती। नौ गोल करके उन्होंने केवल जीत ही नहीं दिलाई, बल्कि गोल्डन बूट और टूर्नामेंट में सबसे मूल्यवान खिलाड़ी का सम्मान भी जीत लिया। वही फ़ाज़िला इक़बालपुट न केवल अपने लिए बल्कि अपने देश के लोगों के लिए भी लड़ती हैं।
युगांडा में "फाज़िला इनिशिएटिव" नामक एक एनजीओ युगांडा में चलाती हैं। यह संस्था वहाँ के पिछड़े लड़कों और लड़कियों को फुटबॉल और पढ़ाई में रुचि दिला कर समाज में उजाला लौटाने के लक्ष्य से लगातार संघर्ष कर रही है। नेपाल से 'सनर गर्ल' फाज़िला ने ईस्टबंगाल को चैंपियन बनाकर कहा, 'मुझे लोगों के साथ खड़े होना पसंद है। मैं अपने देश के किशोरों को खेल के माध्यम से लड़ना सिखाती हूँ।' भारत में खेलकर जो पैसा कमाती हैं, उसका बड़ा हिस्सा फाज़िला अपने देश में अपने एनजीओ को भेज देती हैं।
भारत में कई वर्षों से खेल रही हैं। पहले केरल के गोकुलम एफसी में आई थीं। वहाँ भी लगातार दो बार महिलाओं की नेशनल लीग जीत चुकी हैं 'सोनार बूट'। फाज़िला के अनुसार, 'जब मैं भारत आई थी, तब महिलाओं के फुटबॉल का स्तर इतना अच्छा नहीं था। यहाँ महिलाओं का फुटबॉल बहुत तेज़ी से विकसित हुआ है। विशेष रूप से ईस्टबंगाल जैसी देश की शीर्ष क्लब गंभीरता से आगे बढ़ी है। यह बड़ी बात है।'
बचपन में काकरा फुटबॉल खेलते थे। उसी समय से प्यार हो गया। अब उनकी हर बेटी के मैच की जानकारी उनके माता-पिता अपने देश से बारीकी से लेते हैं। क्रिस्टियानो रोनाल्डो की पागल प्रशंसक फाज़़िला हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए हमेशा रोनाल्डो मेस्सी से आगे हैं। मैं रोनाल्डो का खेल मैदान पर भी फॉलो करती हूँ।’ हालांकि वह खुद मैसी की तरह नंबर 10 की जर्सी पहनकर खेलती हैं।
इतने समय तक कोलकाता में रहने के दौरान उन्होंने धीरे-धीरे बांग्ला भाषा भी समझना सीख लिया है। भाषा न समझने के बावजूद जब समय मिलता है तो बॉलीवुड के गाने सुनती हैं। फाज़़िला के अनुसार, ‘मुझे अन्य क्लबों से भी ऑफर मिले थे लेकिन ईस्ट बंगाल की परंपरा और समर्थकों का प्यार ही मुझे लाल-पीली जर्सी के लिए प्यार में डाल दिया। यह प्यार हमेशा मेरे दिल में रहेगा।’
फाज़़िला के दिल में उनके देश के लिए भी जगह है। लोगों के साथ रहने की प्रतिबद्धता ही उनका मंत्र है।