लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सोमवार को बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जहां बाकी सब घट रहा है वहीं उनके शासन में घृणा, महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार अनियंत्रित रूप से बढ़ रहे हैं। ऐसे में एमजीएनआरईजीए कैसे टिक पाएगा? इसलिए यह कार्ड डिलीट किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस मामले से हाथ धो लिया है और अतिरिक्त खर्च का बोझ राज्यों पर डाल दिया है। साफ शब्दों में कहें तो बीजेपी गरीब विरोधी है!
अखिलेश यादव ने X पर एक इन्फोग्राफिक भी साझा किया, जिसमें छह राज्यों में डिलीट किए गए एमजीएनआरईजीए कार्ड की संख्या दिखाई गई है: बिहार: 1.04 करोड़, उत्तर प्रदेश: 90.4 लाख, ओडिशा: 41.6 लाख, मध्य प्रदेश: 32.7 लाख, पश्चिम बंगाल: 24.2 लाख, राजस्थान: 10.5 लाख।
16 दिसंबर को अखिलेश यादव ने VB-G Ram G बिल की आलोचना करते हुए कहा कि यह कानून संपूर्ण भार राज्य सरकारों पर डाल देगा। एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि नए बिल के तहत 60:40 फंड शेयरिंग पैटर्न से केंद्र और राज्यों के बीच टकराव पैदा होगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर एमजीएनआरईजीए के नाम बदलने को लेकर भी तंज कसा और कहा कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार की नकल कर रही है। राजनीति और योजनाएं ऐसी होनी चाहिए जो लोगों को फायदा पहुंचाए। इसके जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता था। आप सारा भार राज्य सरकारों पर डाल देंगे; राज्य इसे केंद्र पर डाल देंगे। कई राज्यों को अभी भी इसके लिए फंड नहीं मिला है। यूपी सरकार अपने डेटा से खेल कर रही है। राज्य सरकारें डेटा में हेरफेर कर रही हैं। ऐसे में ये योजनाएं CMs के मुद्दों को कैसे हल करेंगी? ये केवल समस्याएं बढ़ाएंगी।
उन्होंने कहा कि नाम बदलने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। दिल्ली की सरकार (केंद्र) UP सरकार की नकल कर रही है; यूपी सरकार का रिकॉर्ड है कि उसने सबसे ज्यादा नाम बदले हैं। संसद ने 18 दिसंबर को विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड अजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल पास किया और इसे 21 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। कानून के अनुसार ग्रामीण परिवारों को 125 दिन का मजदूरी रोजगार गारंटी दी जाएगी, जो मौजूदा 100 दिन से अधिक है।
धारा 22 के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों के बीच फंड शेयरिंग पैटर्न 60:40 होगा, जबकि उत्तर-पूर्वी राज्य, हिमालयी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर) के लिए यह 90:10 होगा। धारा 6 के तहत राज्य सरकारें वित्तीय वर्ष में कुल साठ दिन के लिए अग्रिम में पीक कृषि सीजन यानी बुवाई और कटाई की अवधि घोषित कर सकती हैं।