मुंबई: 2026 में पिंपरी-चिंचवड़ में 29 नगर निगम सीटों पर चुनाव होने हैं। इन चुनावों में शरद पवार और अजित पवार एक साथ चुनाव लड़ेंगे। रविवार को चुनाव प्रचार के दौरान खुद अजित पवार ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि हमारा परिवार फिर से एक हो रहा है। 2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर बीजेपी के साथ गठबंधन किया था। वे एकनाथ शिंदे की शिवसेना और बीजेपी की सरकार में शामिल होकर उपमुख्यमंत्री बने। इसके बाद एनसीपी दो हिस्सों में बंट गई।
ज़्यादातर विधायक शरद पवार को छोड़कर अजित पवार के साथ चले गए। बाद में चुनाव आयोग के फैसले से एनसीपी पर अधिकार अजित पवार को मिला। पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह भी उनके पास चला गया। शरद पवार की पार्टी का नाम पड़ा एनसीपी (शरद पवार) और उन्हें नया चुनाव चिन्ह मिला।हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में शरद पवार ने शानदार प्रदर्शन किया। उनकी पार्टी ने 8 सीटें जीतीं, जबकि अजित पवार की पार्टी को बहुत कम सीटें मिलीं।
हाल के दिनों में महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में अजित पवार को लेकर नाराज़गी बढ़ती दिख रही है। शिंदे गुट और बीजेपी के कुछ नेता भी उनसे खुश नहीं हैं। ऐसे माहौल में पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम चुनाव में चाचा-भतीजे का साथ आना राजनीतिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है।
15 जनवरी को पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम का चुनाव है। यह महाराष्ट्र के सबसे अमीर नगर निगमों में से एक है। अजित पवार ने कहा कि उम्मीदवारों की सूची बनाते समय ही दोनों गुटों ने साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया। महाराष्ट्र के विकास के लिए यह जरूरी था। फिलहाल हम साथ हैं। हालांकि यह गठबंधन सिर्फ पिंपरी-चिंचवड़ चुनाव तक सीमित रहेगा। बाकी चुनावों में दोनों गुट अलग-अलग लड़ेंगे। पुणे नगर निगम चुनाव में सीटों के तालमेल पर भी बातचीत चल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों का संकेत हो सकता है।