देहरादून: “मैं चीनी नागरिक नहीं, भारतीय हूं।” नस्लवादी टिप्पणियों का विरोध करते हुए एंजेल चकमा (24) बस यही कुछ शब्द कह पाए थे। उन्हें तब यह अंदाजा नहीं था कि विरोध करने की कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी। करीब 14 दिनों तक अस्पताल में ज़िंदगी से जूझने के बाद शुक्रवार को उनकी मौत हो गई। हत्या के मामले में पुलिस अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। हालांकि मुख्य अभियुक्त की तलाश के लिए पुलिस ने 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया है।
यह दिल दहला देने वाली घटना 9 दिसंबर को देहरादून के सेलाकुई इलाके में हुई। पुलिस सूत्रों के अनुसार उस दिन एंजेल अपने छोटे भाई माइकल के साथ स्थानीय बाजार गए थे। आरोप है कि वहां युवकों के एक समूह ने उनका रास्ता रोककर नस्लवादी टिप्पणियां शुरू कर दीं और उन्हें चीनी बताकर अपमानित किया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एंजेल ने शांतिपूर्वक इसका विरोध करते हुए कहा था कि हम चीनी नागरिक नहीं हैं, हम भारतीय हैं। भारतीय साबित करने के लिए हमें कौन-सा प्रमाणपत्र दिखाना होगा?
इसके बाद युवकों के उस समूह ने एंजेल और उनके भाई माइकल पर चाकू से हमला कर दिया। दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान 14 दिन बाद एंजेल की मौत हो गई, जबकि माइकल का इलाज अभी जारी है। शनिवार को एंजेल का शव अगरतला लाया गया। इस घटना को लेकर उत्तर-पूर्व भारत और देहरादून के छात्र समुदाय में भारी आक्रोश है।
टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत विक्रम माणिक्य देबबर्मा ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और नस्लवादी हमलों के खिलाफ आवाज उठाते हुए दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है। उत्तर-पूर्व भारत के छात्र संगठनों ने भी केंद्र सरकार से नस्लवाद रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाने की मांग की है।