नई दिल्ली: कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने रविवार को दावा किया कि केंद्र सरकार अरावली पहाड़ियों को नष्ट करने की कोशिश कर रही है और अदालत को नई परिभाषा की समीक्षा करनी चाहिए। पायलट ने आरोप लगाया कि जिन चार राज्यों में अरावली पर्वतमाला फैली हुई है– गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली, वहां की राज्य सरकारें और केंद्र सरकार मिलकर अरावली पहाड़ियों को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और इन चार राज्यों की सरकारें अपनी पूरी ताकत और संसाधनों के साथ अरावली पर्वतों को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार नई परिभाषा विवाद के बाद विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार नजर बनाए हुए है और अरावली पहाड़ियों को बचाने के लिए कदम उठा रहा है। पायलट ने कहा कि हमने यह मुद्दा उठाया है कि हम इसे बचाएंगे। अदालत को 100 मीटर की परिभाषा की पुनः समीक्षा करनी चाहिए। पायलट ने आगे कहा कि कई पर्वत 100 मीटर की ऊंचाई तक भी नहीं पहुंचते हैं और इस परिभाषा के बदलने से वन क्षेत्र में अवैध खनन बढ़ सकता है। उन्होंने दावा किया कि पूरा अरावली पर्वतमाला में ऐसे 1.18 लाख पर्वत हैं जो 100 मीटर से कम ऊंचे हैं। केवल 1,048 पर्वत 100 मीटर से अधिक हैं। अगर परिभाषा बदल दी गई तो खनन माफिया और अधिक अवैध खनन करेगा।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अरावली पर्वतमाला की परिभाषा को लेकर पर्यावरणविदों और विपक्षी दलों की बढ़ती चिंता के बीच सुवो मोटु संज्ञान लिया। तीन न्यायाधीशों की वकेशन बेंच, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत करेंगे। इस मामले की सुनवाई 29 दिसंबर को करेगी। यह कदम केंद्र सरकार की नई परिभाषा पर आपत्तियों के बाद आया है, जो 100 मीटर ऊंचाई के मानदंड पर आधारित है।
24 दिसंबर को, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने राज्यों को अरावली में किसी भी नए खनन पट्टे की पूरी तरह से रोक लगाने के निर्देश भी दिए। यह प्रतिबंध पूरे अरावली क्षेत्र में समान रूप से लागू है और इसका उद्देश्य पर्वत श्रृंखला की अखंडता बनाए रखना और सभी अनियंत्रित खनन गतिविधियों को रोकना है।