जम्मूः जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ और डोडा ज़िलों में पिछले एक सप्ताह से भारतीय सेना ने आतंकवाद विरोधी एक बड़े अभियान की शुरुआत की है। दुर्गम पहाड़ों और हाड़ कंपा देने वाली ठंड को नज़रअंदाज़ करते हुए लगभग 2,000 जवान इस व्यापक तलाशी अभियान में उतरे हैं। जैश-ए-मोहम्मद और हिज़्बुल मुजाहिदीन संगठनों के कुछ शीर्ष आतंकियों को पकड़ने के लिए सेना ने सघन तलाशी शुरू की है।
सेना सूत्रों के अनुसार, इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जैश कमांडर सैफुल्लाह और उसके सहयोगी आदिल को तलाशना है। इन दोनों आतंकियों पर 5-5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है। माना जा रहा है कि वे किश्तवाड़ के पहाड़ों में छिपे हुए हैं। वहीं, किश्तवाड़ के पाडर उपखंड में हिज़्बुल मुजाहिदीन के कमांडर जहांगिर सरूरी और उसके दो साथियों मुदासिर व रियाज़ को पकड़ने की भी कोशिश की जा रही है। इन तीनों पर 10-10 लाख रुपये का इनाम घोषित है।
कश्मीर में आमतौर पर 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक भीषण सर्दी पड़ती है। इन 40 दिनों की अवधि को स्थानीय भाषा में ‘चिल्लई कलां’ कहा जाता है। इस दौरान आमतौर पर आतंकवाद विरोधी अभियानों को अस्थायी रूप से रोक दिया जाता है। लेकिन इस बार भारतीय सेना ने अपनी रणनीति बदली है और कड़ाके की सर्दी के बीच ही अभियान चला रही है। सेना ने बर्फ से ढके पहाड़ों में अस्थायी शिविर स्थापित कर आतंकियों के भागने के सभी रास्तों को बंद कर दिया है।
स्थानीय ग्रामीण, जो पहाड़ी इलाकों से अच्छी तरह परिचित हैं, वे भी आतंकियों के ठिकानों तक पहुंचने में भारतीय सेना की मदद कर रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम और प्रतिकूल परिस्थितियों की परवाह किए बिना सेना का यह लगातार अभियान आतंकियों का मनोबल तोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है।