नयी दिल्लीः भारत को विश्व में डेटा सेंटर का केंद्रबिंदु बनाने के लिए अमेरिकी शीर्ष तकनीकी कंपनियों ने भारी निवेश की घोषणा की है। एक समाचार माध्यम की रिपोर्ट के अनुसार माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न, गूगल और मेटा संयुक्त रूप से भारत में लगभग 67.5 बिलियन डॉलर (करीब 5.7 लाख करोड़ रुपये) का निवेश करने जा रही हैं।
बताया गया है कि भारत के इतिहास में किसी एक विशिष्ट क्षेत्र में यह अब तक के सबसे बड़े विदेशी निवेशों में से एक है। कौन-सी कंपनी कितना निवेश कर रही है? माइक्रोसॉफ्ट ने एआई से संबंधित प्रोजेक्ट्स के लिए 17.5 बिलियन डॉलर आवंटित किए हैं। अमेज़न ने अगले पांच वर्षों में एआई से जुड़े कार्यों को जारी रखने के लिए 35 बिलियन डॉलर निवेश करने की योजना बनाई है।
दूसरी ओर गूगल ने अडानी ग्रुप और भारती एयरटेल के साथ मिलकर डेटा सेंटर बनाने के लिए 15 बिलियन डॉलर का वादा किया है। फेसबुक की मूल कंपनी मेटा ने गूगल द्वारा प्रस्तावित साइटों के पास ही विशाल बुनियादी ढांचे के निर्माण का काम शुरू कर दिया है। लेकिन अचानक यह निवेश क्यों किया जा रहा है? विशेषज्ञों के अनुसार भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा डेटा उपयोगकर्ता देश है लेकिन वैश्विक डेटा स्टोरेज या सूचना भंडारण के मामले में भारत की क्षमता अमेरिका की तुलना में मात्र 5 प्रतिशत है। इसी कमी को पूरा करने के लिए अमेरिकी कंपनियां भारत को चुन रही हैं।
इसके अलावा भारत सरकार डेटा को देश के भीतर ही रखने की जिस योजना पर आगे बढ़ रही है, उसके कारण विदेशी सर्वरों पर निर्भरता कम करने के लिए भारत में डेटा सेंटर बनाना अब अनिवार्य होता जा रहा है। वर्तमान में हैदराबाद जैसे शहर इस निवेश के प्रमुख केंद्र बनते जा रहे हैं। बिजली और पानी की बेहतर व्यवस्था तथा सरकारी सुविधाओं के कारण वहां एक के बाद एक मेगा प्रोजेक्ट तैयार हो रहे हैं।