नयी दिल्ली। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों की धमकियों और प्रतिबंधों को एक तरफ रखते हुए भारत के साथ दृढ़ता से खड़े रहने का संदेश दिया है। भारत दौरे से ठीक पहले इंडिया टुडे को दिए एक विशेष इंटरव्यू में पुतिन ने साफ कहा कि विश्व बाजार में भारत का बढ़ता प्रभाव पश्चिमी देशों को बिल्कुल भी पच नहीं रहा है।
डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीति और रूसी तेल पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्राइस कैप पर पुतिन ने कहा- ये सब “राजनीतिक हथियार” हैं। उनका कहना है कि इन हथियारों का इस्तेमाल भारत और रूस के संबंधों को तोड़ने के लिए किया गया लेकिन यह प्रयास पूरी तरह असफल रहा।
जिस वक्त अमेरिका और यूरोपीय देश रूसी तेल निर्यात पर कठोर प्रतिबंध और मूल्य नियंत्रण लगा रहे थे, ऐसे समय में पुतिन की यह टिप्पणी बेहद अहम है। उन्होंने कहा, “भारत पर जो दबाव डाला गया, वह वास्तव में सामान्य प्रतिस्पर्धा को खत्म करने की राजनीतिक कोशिश थी। सच तो यह है कि बाजार में भारत की तरक्की कई लोगों को सहन नहीं हो रही है।”
पुतिन ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा अमेरिका और खासकर डोनाल्ड ट्रम्प की ओर होने में कोई संदेह नहीं है। पुतिन के अनुसार, रूस से भारत को तेल खरीद बंद कराने की कोशिश बाजार की वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित नहीं थी, बल्कि उसके पीछे ईर्ष्या और राजनीति काम कर रही थी।
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भू-राजनीति में कई बदलाव आए लेकिन भारत और रूस की दोस्ती कमजोर नहीं पड़ी। तेल क्षेत्र में इस मजबूत संबंध पर बोलते हुए पुतिन ने कहा,“क्षणिक राजनीतिक परिस्थितियों या यूक्रेन की दुखद स्थिति ने हमारे ऊर्जा सहयोग को प्रभावित नहीं किया है।”