नयी दिल्लीः लाल किले के पास कार विस्फोट कांड में गुप्तचर एजेंसियों की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। जांच में ऐसे संकेत मिले हैं कि इसके पीछे एक बड़े पैमाने का अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क है और कई समन्वित हमलों की बड़ी योजना बनाई जा रही थी।
गुप्तचर सूत्रों की खबर के अनुसार इस 'व्हाइट कॉलर' आतंकी मॉड्यूल के मुख्य अभियुक्तों में से एक डॉ. मुजम्मिल शकील गनाई ने पांच लाख रुपये से भी अधिक खर्च करके एक एके-47 असॉल्ट राइफल खरीदी थी। यही राइफल श्रीनगर जीएमसी में डॉ. आदिल अहमद राथेर के लॉकर से मिली थी। जांचकर्ताओं के अनुसार, 5 लाख रुपये खर्च करके डॉ. मुजम्मिल का एके-47 खरीदना इस बात को दर्शाता है कि यह आतंकी मॉड्यूल आर्थिक शक्ति में कितना आगे था।
जांच में यह भी पता चला है कि आईईडी या बम बनाने के लिए जो रसायन खरीदे गए थे, उन्हें स्थिर करने के लिए आतंकवाद के अभियुक्तों ने एक डीप फ्रीजर का इस्तेमाल किया था। इससे स्पष्ट है कि डॉ. उमर नबी अपने हैंडलरों द्वारा भेजे गए बम बनाने के वीडियो देखकर अत्याधुनिक तरीके से विस्फोटक बना रहा था। उसने नूह से रसायन और भगीरथ पैलेस से बम बनाने के इलेक्ट्रिकल उपकरण एकत्र किए थे।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस मॉड्यूल का हर सदस्य अलग-अलग हैंडलर के निर्देश पर काम करता था। अब तक देखा जाता था कि आतंकियों के एक-एक मॉड्यूल में निर्देश किसी निर्दिष्ट एक हैंडलर से ही आते थे लेकिन इस मामले में हर सदस्य को अलग-अलग हैंडलर निर्देश देते थे। यहां तक कि डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के हैंडलर भी अलग थे, क्रमशः मंसूर और हाशिम। एक सीनियर हैंडलर के अधीन वे काम करते थे।
इसके अलावा ओकासा नाम के एक और हैंडलर का नाम जांच में सामने आया है, जो तहरीक-ए-तालिबान-पाकिस्तान या टीटीपी समूह से जुड़ा बताया गया है। जांचकर्ताओं के अनुसार इस बहुस्तरीय नेटवर्क से पता चलता है कि फरीदाबाद मॉड्यूल कोई अलग-थलग समूह नहीं था। यह आतंकी मॉड्यूल एक सुसंगठित आतंकवादी चेन ऑफ कमांड का हिस्सा था।
जांच में मिले विभिन्न सूत्रों और सबूतों से गुप्तचर एजेंसियों का अनुमान है कि इस आतंकी मॉड्यूल ने कई जगहों पर विस्फोटक जमा करके एक साथ बड़े पैमाने पर हमला करने की योजना बनाई थी। फिलहाल जांचकर्ता इस आतंकी मॉड्यूल के पीछे के व्यापक नेटवर्क की खोज कर रहे हैं। साथ ही यह जानने की कोशिश चल रही है कि किस रास्ते से उन्हें फंडिंग मिलती थी। साथ ही उनके अंतरराष्ट्रीय हैंडलरों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।