पिछले कई महीनों से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की लगातार कोशिशों के बावजूद राज्य के 15 विश्वविद्यालयों (University) में उपाचार्य की नियुक्ति को लेकर समस्याएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। इससे पहले राज्य के 36 विश्वविद्यालयों में उपाचार्य की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों के आचार्य व राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस के बीच चल रहे संघर्ष को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित के नेतृत्व में एक उपाचार्य चयन कमेटी का गठन भी किया गया था।
इस कमेटी का गठन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्य कांत की बेंच ने किया था।
कमेटी ने योग्यता के आधार पर क्रमानुसार हर एक विश्वविद्यालय के लिए 3 संभावित उपाचार्यों के नाम की सूची बना दी थी। इनमें से 9 विश्वविद्यालयों के 3 लोगों के पैनल को लेकर राज्य सरकार ने अपनी सहमति तो दे दी थी लेकिन 3 विश्वविद्यालयों को लेकर आपत्ति जतायी थी। वहीं आचार्य ने 4 विश्वविद्यालयों के पैनल को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करवायी थी।
ऐसी स्थिति में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्य सरकार अनुमोदित 9 विश्वविद्यालयों में उपाचार्यों की नियुक्ति को लेकर हरी झंडी की अर्जी दी। हालांकि न्यायाधीश सूर्य कांत व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति नहीं दी है।
दोनों न्यायाधीश ने बताया कि राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच आपसी सहमति बनाने के लिए सिंघवी राज्य सरकार से बात करेंगे। वहीं एटर्नी जनरल से राज्यपाल के साथ बात करने के लिए कहा गया है। अदालत ने उपायार्यों की नियुक्ति को लेकर आपत्ति का कारण बताते हुए राज्यपाल और राज्य सरकार से अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है।
बताया जाता है कि इस मामले की अगली सुनवाई दुर्गा पूजा की छुट्टियों के बाद 6 अक्तूबर को होगी। पूर्व न्यायाधीश ललित की कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में कुचबिहार के पंचानन वर्मा विश्वविद्यालय और बारासात राज्य विश्वविद्यालय के उपाचार्यों की नियुक्ति को लेकर अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है।