गर्भवती महिला समेत बांग्लादेश भेजे गये प्रवासी मजदूरों को 4 सप्ताह में लाना होगा वापस, हाई कोर्ट का केंद्र को निर्देश

कलकत्ता हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि अगले 4 सप्ताह के अंदर गर्भवती सोनाली बीबी समेत वीरभूम के दोनों परिवारों के 6 सदस्यों को बांग्लादेश से राज्य (पश्चिम बंगाल) में वापस लाना होगा।

By Moumita Bhattacharya

Sep 26, 2025 16:49 IST

बांग्लादेशी होने के संदेह में प्रवासी मजदूरों को वापस बांग्लादेश भेजने (पुश बैक) से संबंधित केंद्र सरकार के दावे को कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने खारिज कर दिया। शुक्रवार (26 सितंबर) को न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती और ऋतव्रतकुमार मित्र की खंडपीठ ने आदेश दिया कि अगले 4 सप्ताह के अंदर गर्भवती सोनाली बीबी समेत वीरभूम के दोनों परिवारों के 6 सदस्यों को बांग्लादेश से राज्य (पश्चिम बंगाल) में वापस लाना होगा।

जिस प्रकार केंद्र सरकार ने सोनाली बीबी समेत अन्य सभी पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बांग्लादेश भेजने का फैसला लिया था, अदालत ने उसकी आलोचना करते हुए इस फैसले को खारिज कर दिया।

बता दें, वीरभूम के पाइकर निवासी दानिश शेख, उनकी गर्भवती पत्नी सोनाली बेगम व उनका 8 साल का बेटा सब्बीर दिल्ली की रोहिणी इलाके में रहते थे। सोनाली वहां घरेलु नौकरानी का काम किया करती थी। उनके परिवार का दावा है कि 18 जून को इन्हें दिल्ली पुलिस ने अपनी हिरासत में लेकर बांग्लादेश भेज दिया।

बांग्लादेश जाने पर वहां की पुलिस ने इस परिवार को गिरफ्तार कर दिया है। इसके बाद इस मामले को लेकर परिवार ने पश्चिम बंगाल प्रवासी मजदूर कल्याण परिषद की मदद से कलकत्ता हाई कोर्ट में मामला दायर किया।

29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट से इस मामले की सुनवाई की बात का निर्देश दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान सबसे पहला सवाल हाई कोर्ट ने पूछा था कि सोनाली को 24 जून को हिरासत में लिया गया था। इसके 48 घंटों के अंदर उन्हें विदेश (बांग्लादेश) भेज देने का फैसला लिया गया।

अदालत ने पूछा था कि ऐसी स्थिति में कौन सी पद्धति का पालन किया गया था? कानून के अनुसार कम से कम 30 दिनों तक हिरासत में रखने के बाद जांच-पड़ताल करने की जरूरत होती है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से जवाब तलब भी किया था।

गौरतलब है कि बांग्लादेशी होने के संदेह में भाजपा शासित राज्यों में बांग्लाभाषी प्रवासी मजदूरों को परेशान करने का दावा करते हुए राज्य की तृणमूल सरकार के कई नेता व मंत्री ने विरोध भी जताया था। जानकारों का मानना है कि इस पृष्ठभूमि में हाई कोर्ट का यह निर्णय बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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